पथ के साथी

Monday, June 5, 2023

1325-बच्चे और पौधे

 रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 


लहलहाते रहेंगे

आँगन की क्यारियों में

हिलाकर नन्हे-नन्हे पात

सुबह शाम करेंगे बात

प्यारे पौधे।

पास आने पर

दिखलाकर पँखुड़ियों की

नन्ही-नन्ही दन्तुलियाँ

मुस्काते हैं

फूले नहीं समाते हैं

ये लहलहाते पौधे।

 

मिट्टी पानी और उजाला

इतना ही तो पाते

फिर भी रोज़ लुटाते

कितनी खुशियाँ....

बच्चे....

ये भी पौधे हैं

इन्हें भी चाहिए -

प्यार का पानी

मधुर -मधुर स्पर्श की मिट्टी

और दिल की

खुली खिड़कियों से

छन-छनकर आता उजाला

तब ये भी मुस्काएँगे

अपनी किलकारियों का रस

ओक से हमको पिलाएँगे

जब भी स्नेह -भरा स्पर्श पाएँगे

बच्चे पौधे, पौधे बच्चे

बन जाएँगे

घर आँगन महकाएँगे।

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