पथ के साथी

Thursday, March 29, 2012

एक सार्थक चित्र


एक सार्थक चित्र
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

छोटे-छोटे हाथ
कर सकते हैं बहुत कमाल
एक नक्शा बनाकर
पूरी दुनिया को
उसमें उतार सकते हैं
एक हल्की -सी छुअन
दो प्रेम -पगे शब्द
किसी  के सोए मन में
समन्दर पार करने की
ऊर्जा भर सकते  हैं ।
एक आश्वासन
अपनत्व का महल खड़ा कर देता है
ठीक उसी तरह
जैसे तुम्हारा सजाया
एक सार्थक चित्र
शब्दों को जुबान दे देता है -
कि वे घुलमिलकर बतियाएँ
छोटे बच्चों की तरह खिलखिलाएँ
सारी दुनिया भूलकर
गले लग जाएँ
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