पथ के साथी

Saturday, November 17, 2018

857

कृष्णा वर्मा
1

सहयोग से महँगी
और
सलाह से सस्ती
कोई चीज़ नहीं है
इस दुनिया में।
2
ईश्वर के बाद
केवल माँ ही ऐसी मर्मज्ञ है
जो कर सकती है संतान के
मौन का अनुवाद।
3
पता नहीं किस सामग्री से
बना होता है दिल का सफ़ा
कहे गए शब्दों को
बिना क़लम
लिख लेता है गहरी स्याही से।
4
संवाद ही तो हैं
जो दे जाते हैं मन को
यादों की पूँजी
वरना फ़कीर न होता
हर शख़्स का मन।
5
मन के तरकश में
न रख ईर्ष्या  के तीर
चल गए तो मिट जाएगा
अपने ही हाथों
तेरा अपना वजूद।
6
चलाने ही हैं तो चला
प्रेम के अस्त्र
फिर देख कैसे जी उठेंगे
मृत संबंध।
7
रात भर जल कर बाती
काटती रही सघन  अन्धकार को
और कितनी सहजता से कहे जग
दीप ने किया उजियारा।
8
बंध रही हूँ तुमसे
ज्यों दूर स्थित सितारों की
टिमटिमाहट के सम्मोहन में
बंधता मन।
9
जीती रही तुम्हें
ज्यों हथेलियों में समाए
शाश्वत स्पर्श को
जीता है मन।
10
डूबी मैं तुझमें
ज्यों डूबे मन
हवा की सरसराहट में रचे
मद्धम  संगीत में।

बहती जो कभी
तुम्हारे हृदय में प्रेम नदी
तो करते महसूस
मेरी उर सरिता का स्वर स्पंदन।
11
खाए हैं ज़ख़्म दिल पर
कोई मलहम न उपचार
रूह के नासूरों का
मिला न कोई हक़ीम।
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