पथ के साथी

Friday, August 15, 2014

स्वतंत्रता का साज़



1-पुष्पा मेहरा 

 धरा विहँस रही, गगन मुस्करा रहा ,
 सजा के तारकों के दीप, चाँद गीत गा रहा।

 डाल-डाल डोलती,हर पात गीत गा रहा ,
 स्वतंत्रता के साज़ पर सुर से सुर मिला रहा ।

 सब ओर जयघोष से, नवप्रभात प्रमुदित हुआ ,
 माँ भारती का लाल हर तिरंगा ले निकल पड़ा ।

 लख नवोल्लास आज कण-कण मुखरित हुआ ,
 कुंज-कुंज घूम पवन मकरंद - आसव भर रहा ।

 लतर-लतर खिली कली, फूल संदेश दे रहा,
 आज पावन ध्वज तिरंगा नूतन छटा दिखला रहा।

 मुक्त गगन में डोल-डोल, उन्मुक्त लहरा रहा,
 बंधन विहीन जलधि दुग्धफेन चढ़ा रहा 

 हिममंडित हिमालय - धवल शृंग-शृंग मुस्करा रहा,
 रवि-किरण - निकर निकल, स्वर्ण कलश लुटा रहा ।

 नव शृंगार धार पवन चिर संदेश दे रहा -

 शत्रुता के शूल हटें, मित्रता की धरा रचें,
 छल-दंभ, ऊँच नीच,अहंकार से बचें।

 सत् का दीप जला  असत् का तिमिर हरें ,
 ज्ञान की लौ से लौ आगे बढ़ जलाते चलें ।

 शीर्ष पर तिरंगा उठा दुर्गम पथ पार करें,
 रथ स्वतंत्रता का सदा बढ़ता रहे, बढ़ता रहे ।
-0-
 पुष्पा मेहरा, बी-201, सूरजमल विहार, दिल्ली-110092

-0-

2-सुशीला शिवराण


आज़ादी है फ़र्ज़ भी, नहीं सिर्फ़ अधिकार।

काश दिलों में रोप लें, सब जन यही विचार॥
-0-