1-पुष्पा मेहरा
धरा विहँस
रही, गगन मुस्करा रहा ,
सजा के
तारकों के दीप, चाँद गीत गा रहा।
डाल-डाल
डोलती,हर पात गीत गा रहा ,
स्वतंत्रता
के साज़ पर सुर से सुर मिला रहा ।
सब ओर जयघोष
से, नवप्रभात प्रमुदित हुआ ,
माँ भारती का
लाल हर तिरंगा ले निकल पड़ा ।
लख नवोल्लास
आज कण-कण मुखरित हुआ ,
कुंज-कुंज
घूम पवन मकरंद - आसव भर रहा ।
लतर-लतर खिली
कली, फूल संदेश दे रहा,
आज पावन ध्वज
तिरंगा नूतन छटा दिखला रहा।
मुक्त गगन
में डोल-डोल, उन्मुक्त लहरा रहा,
बंधन विहीन
जलधि दुग्धफेन चढ़ा रहा ।
हिममंडित
हिमालय - धवल शृंग-शृंग मुस्करा रहा,
रवि-किरण -
निकर निकल, स्वर्ण कलश लुटा रहा ।
नव शृंगार धार पवन चिर संदेश दे रहा -
शत्रुता के
शूल हटें, मित्रता की धरा रचें,
छल-दंभ, ऊँच नीच,अहंकार से बचें।
सत् का दीप
जला असत् का तिमिर हरें ,
ज्ञान की लौ
से लौ आगे बढ़ जलाते चलें ।
शीर्ष पर
तिरंगा उठा दुर्गम पथ पार करें,
रथ
स्वतंत्रता का सदा बढ़ता रहे, बढ़ता रहे ।
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पुष्पा मेहरा, बी-201, सूरजमल
विहार, दिल्ली-110092
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2-सुशीला शिवराण
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2-सुशीला शिवराण
आज़ादी है फ़र्ज़ भी, नहीं सिर्फ़ अधिकार।
काश दिलों में रोप लें, सब जन यही विचार॥
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