पथ के साथी

Thursday, December 23, 2021

1171-तीन कविताएँ

 1-कहानी कभी ख़त्म नहीं होती

प्रियंका गुप्ता

 

दादी माँ


अक्सर सुनाया करती थी

बस वही एक कहानी-

एक था राजा, एक थी रानी

दोनों मर गए, ख़त्म कहानी;

पर मैं अक्सर सोचती हूँ

राजा-रानी के मरने से

कहानी ख़त्म कैसे हुई?

उसके बाद भी

चली तो होगी

किसी और राजा और

उसकी रानी की कहानी;

कहानियाँ कभी ख़त्म होती हैं क्या?

हम न चाहें तो भी

उनका चलना

बदस्तूर ज़ारी रहता है

सुनो,

जिस दिन ख़त्म हो गई कहानियाँ

उस दिन ख़त्म हो जाएगी

ये सृष्टि भी;

इसलिए बस चलने देना

रोज़ नई कहानी को

क्योंकि हर कहानी

सृष्टि को बचाए रखने के लिए

उतनी ही ज़रूरी है

जितनी ज़रूरी हैं

तुम्हारी साँसें

ज़िन्दगी के लिए...।

-0-

2-भीकम सिंह 

 

1-कविता का अधिकारी 

 

 सरकारी विभागों में 


हिन्दी भाषा के अधिकारी
 

या कोई आयुक्त जैसे 

उच्च अधिकारी 

अपनी कविता छपवाते हैं 

साहित्यिक समारोहों में 

उसे 

पहनकर आते हैं 

कुछ 

शब्द-चित्र 

टाँककर आते हैं 

क्योंकि 

वे बोल नहीं पाते 

इसलिए 

अवकाश प्राप्ति पर

कविता -

फाड़कर फेंक देते हैं 

या

लिखना छोड़ देते हैं 

फिर उनकी पुस्तकें 

अलमारियों से निकाल 

बारों के साथ 

तोल दी जाती हैं 

खाली अलमारियों में 

उनकी पढ़ी -लिखी बहुएँ 

व्रत-त्योहार 

विधि-विधान की पुस्तकें 

ज़ा देती हैं 

फिर वो अधिकारी 

अपना सिर

दोनों हाथों में पकड़े 

गैराज में 

ढूँढते हैं कविता 

 

 

-0-

 

2-धूप 

 

 

ताज़ा - सी दिखी

अहाते के पास 

सुबह की कोख से 

ज्यों गिरा हो

हर्षोल्लास 

फिर से आज 

 

आलस की 

चादर उतारी 

अँगड़ाई की मुद्रा में 

बाहें पसारी 

और लपेट ली सारी

माघ की धूप