1-कहानी कभी ख़त्म नहीं होती
प्रियंका गुप्ता
दादी माँ
अक्सर सुनाया करती थी
बस वही एक कहानी-
एक था राजा, एक थी रानी
दोनों मर गए, ख़त्म कहानी;
पर मैं अक्सर सोचती हूँ
राजा-रानी के मरने
से
कहानी ख़त्म कैसे हुई?
उसके बाद भी
चली तो होगी
किसी और राजा और
उसकी रानी की कहानी;
कहानियाँ कभी ख़त्म होती हैं क्या?
हम न चाहें तो भी
उनका चलना
बदस्तूर ज़ारी रहता है
सुनो,
जिस दिन ख़त्म हो गई कहानियाँ
उस दिन ख़त्म हो जाएगी
ये सृष्टि भी;
इसलिए बस चलने देना
रोज़ नई कहानी को
क्योंकि हर कहानी
सृष्टि को बचाए रखने के लिए
उतनी ही ज़रूरी है
जितनी ज़रूरी हैं
तुम्हारी साँसें
ज़िन्दगी के लिए...।
-0-
2-भीकम
सिंह
1-कविता का अधिकारी
हिन्दी भाषा के अधिकारी
या कोई आयुक्त जैसे
उच्च अधिकारी
अपनी कविता छपवाते हैं
साहित्यिक समारोहों में
उसे
पहनकर आते हैं
कुछ
शब्द-चित्र
टाँककर आते हैं
क्योंकि
वे बोल नहीं पाते
इसलिए
अवकाश प्राप्ति पर
कविता -
फाड़कर फेंक देते हैं
या
लिखना छोड़ देते हैं
फिर उनकी पुस्तकें
अलमारियों से निकाल
अख़बारों के साथ
तोल दी जाती हैं
खाली अलमारियों में
उनकी पढ़ी -लिखी बहुएँ
व्रत-त्योहार
विधि-विधान की पुस्तकें
सज़ा देती हैं
फिर वो अधिकारी
अपना सिर
दोनों हाथों में पकड़े
गैराज में
ढूँढते हैं कविता ।
|
|
-0-
2-धूप
ताज़ा - सी दिखी
अहाते के पास
सुबह की कोख से
ज्यों गिरा हो
हर्षोल्लास
फिर से आज ।
आलस की
चादर उतारी
अँगड़ाई की
मुद्रा में
बाहें पसारी
और लपेट ली सारी
माघ की धूप ।