कलम गा उनके गीत
डॉ. सुरंगमा यादव
कलम गा उनके गीत
जिन्होंने बदली रीत
दीपक बनकर
अँधियारों
से लड़ते
मरहम बन
पीड़ाएँ हरते
समय भाल पर
अंकित करते जो पद-चिह्न
बढ़ाते सबसे प्रीत
’स्व’ की अंधी दौड़ छोड़कर
परहित में सर्वस्व त्यागकर
नष्ट-भ्रष्ट कर जीर्ण पुरातन
सिंचित करते हैं मानव-मन
जग के हित जिनका
मौन हुआ जीवन संगीत
तूफानों से घिरे रहे जो
फिर भी सदा अडिग रहे जो
औरों को करने को पार
मोड़ गये नदिया की धार
बाधाओं को करें सदा जो
साहस से विपरीत ।
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