पथ के साथी

Thursday, January 4, 2018

787

1-कविता
प्रियंका गुप्ता

लो,
आज सौंप रही हूँ तुम्हें
तुम्हारे दिए सभी वादे;
खोल रही हूँ
अपना नेह-बंधन
मेरे प्यार के पिंजरे का
ताला खुला है
जाओ,
खूब ऊँची परवाज़ भरो
दूर तक विस्तार करो
अपने पँखों का
और जब कभी थक जाना
तो लौटना नहीं
मैं तक न सकूँगी तुम्हारी राह,
इंतज़ार भी नहीं करूँगी
तुम्हारे लौट आने का
क्योंकि
तुमने शायद
कभी ठीक से देखा ही नहीं;
मैं बसेरा थी तुम्हारा
कोई सराय नहीं...।
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2-हँसते जाना है
मंगल यादव
    हर पल हँसते जाना है
उम्मीद नहीं किसी से करना है
बस आगे ही बढ़ते जाना है
मिलेंगी रुकावटें राह में
मुश्किलों से लड़ते जाना है..
हर पल हँसते जाना है
ये ठान लो काम करके ही रहना है
ना मुमकिन कुछ भी नहीं
हर काम होता है नया
रोजाना कुछ न कुछ नया करना है
हर पल चलते जाना हैं
हर पल हँसते ते जाना है
ये मानकर चलो अकेले चलते जाना है
साथ में केवल आत्म विश्वास ही रहना है
बस आगे ही बढ़ते जाना है
हर पल हँसते सते जाना है
शिकवा-शिकायतें रहेगी बहुत
दरकिनार करते जाना है
लोगों को पढ़ते जाना है
प्यासे पक्षी की तरह
लक्ष्य पर आगे बढ़ते जाना है
जो भी मिले गले लगाते जाना है
हर पल हँसते जाना है।

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