पथ के साथी

Tuesday, June 11, 2019

908-ख़ौफ़ ज़रूरी है



भावना सक्सैना

प्रेम हो, दोस्ती हो,
भाईचारा रहे,
लेकिन इस जहाँ में
ख़ौफ़ भी ज़रूरी है।
आदमी को आता नहीं
शऊर बिना ख़ौफ़ के,
आदमी इंसान रहे 
इसलिए ख़ौफ़ ज़रूरी है।
कानून को चाहिए 
कि खाल खिंचवा ले
सरेआम, गुनहगारों की,
बालों से लटकाए
नाखून खिंचवा ले
सर कलम हों चौराहों पर
या मिले फाँसी वहीं
अंजाम हो कुछ भी मगर
ख़ौफ़ जरूरी है
ख़ौफ़ तो ज़रूरी है।
मोहब्बत में अक्सर
हो जाता है धोखा
सोचे सौ बार कोई
जहालत से पहले
न टूटे भरोसा 
ईमान रहे कायम
बस इसीलिए जहाँ मे
खौफ़ ज़रूरी है


10 comments:

  1. दमदार अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  2. सही बात......
    सुन्दर सृजन
    भावना जी हार्दिक बधाइयाँ

    ReplyDelete
  3. मेरे भाव को यहाँ स्थान देने के लिए काम्बोज भैया की हृदय से आभारी हूँ।
    अनिता जी, पूर्वा जी उत्साहवरिधन के लिए आभार।

    सादर,
    भावना सक्सैना

    ReplyDelete
  4. सचमुच! इन्सान तो ख़ौफ़नाक जानवरों से भी ज़्यादा ख़तरनाक हो गया है अब तो! वहशी दरिंदों के लिए ख़ौफ़ बहुत ज़रूरी है!
    सही संदेश देती कविता भावना जी! बहुत बधाई आपको इस अभिव्यक्ति के लिए!!!

    ~सादर
    अनिता ललित

    ReplyDelete
  5. 'भय बिन होय न प्रीत 'तुलसीदास जी ने कहा है । आपने बिलकुल सही कहा खौफ जरूरी है ।बधाई आपको ।

    ReplyDelete
  6. भावना जी बिलकुल सत्य है आज के इंसान के लिए खौफ़ ज़रूरी है समाज का खौफ् न हो तो इन्सान जानवर से भी बदतर हो जाता है |

    ReplyDelete
  7. बढ़िया पैग़ाम देती ज़ोरदार रचना...बहुत बधाई भावना जी।

    ReplyDelete
  8. ख़ौफ़ ज़रूरी है। एक ऐसा संदेश जो वर्तमान परिस्थितियों में ज़रूरी हैं। सुंदर कविता।बधाई भावना

    ReplyDelete
  9. बात तो बिलकुल सही कही है, डर अक्सर बहुत ज़रूरी हो जाता है |
    अच्छे सृजन के लिए बहुत बधाई |

    ReplyDelete

  10. सही संदेश देती एक बढ़िया रचना...बहुत बधाई भावना जी।

    ReplyDelete