पिता की कुछ बातें
1.
पता है पापा
बहुत कुछ कहना है आपसे
कई बार चाहा कह दूँ
वो सारी की सारी बातें
जो कह न पाई
रह गयी दिल में
कुछ संकोच बस
पर अब लगता है
कहीं देर न हो जाए...
2.
पिता
1.
पता है पापा
बहुत कुछ कहना है आपसे
कई बार चाहा कह दूँ
वो सारी की सारी बातें
जो कह न पाई
रह गयी दिल में
कुछ संकोच बस
पर अब लगता है
कहीं देर न हो जाए...
2.
पिता
जिसे
बाँध नहीं सकती शब्दों में
अर्थहीन हो जाते हैं
सारे के सारे शब्द
और झुक जाते हैं
छूने
पिता के पैरों को...
3..
पापा
अर्थहीन हो जाते हैं
सारे के सारे शब्द
और झुक जाते हैं
छूने
पिता के पैरों को...
3..
पापा
अब
नहीं करते विरोध
किसी भी बात का
डाँटते भी नहीं
होने देते हैं
सब कुछ यथावत्
शायद डरते हैं
कि कहीं न देखना पड़े
अपने स्वाभिमान को
टूट कर बिखरते हुए....
किसी भी बात का
डाँटते भी नहीं
होने देते हैं
सब कुछ यथावत्
शायद डरते हैं
कि कहीं न देखना पड़े
अपने स्वाभिमान को
टूट कर बिखरते हुए....
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ईमेल
- satyaranchi732@gmail.com
-0-
कृष्णा
वर्मा
1
तड़पें
या मरें मछलियाँ
उनकी
बला से
वह
तो सतत घोलते रहे
ज़हर
पानी में।
बाती
बने न सूत ही
बस
बन रहे कपास
बाती
बन जीते यदि
करते
घना उजास।
2
हवाओं
को लगी है
बुरी
लत जीतने की
हमारी
ज़िद्द भी
जलाए
रखती है
उम्मीदों
की लौ।
3
अक्सर
खोटे
लोग ही दे जाते हैं
खरे
सबक।
4
ओहदा
पीर
की मज़ार होता है।
आरम्भ
वही करें
जिसका
अंत
अर्थपूर्ण
हो।
5
अहम
का तूफ़ान
ले
डूबता है
हस्ती
की कश्ती।
6
आज
फितरत में पले
ईमानदारी
तो
अपना दुश्मन
आप
हो जाता है इंसान।
7
ठंडे
होने लगें रिश्ते
तो
लगा दो आग
ग़लतफहमियों
को।
8
हथेली
पर समेट कर
पानी
की बूँद
पत्ता
सहेजता है
बरसाती
सफ़र की
गीली
स्मृतियाँ।
9
मेरी
ज़िद्द न
टला
तुम्हारा अहं
हारा
प्रणय
रफ़्ता-रफ़्ता
हो गए
ज़ख़्मी
ख़्वाब हमारे।
10
नम
आँखों में पसरे
एकांत
का सघन मौन
जन्मता
है
जज़्बाती
कविताएँ।
11
रंग
का नहीं
गुण
का होता है जलाल
क्या
ख़ूब लिखती है
रोशनाई
की कलौंस
रौशनी
के तमाम किस्से।
12
मिल
जाती जो मोहलत
पतवार
उठाने की
डूबती
नहीं
लड़
लेती मेरी कश्ती
सिरफिरी
हवाओं से।
-0-
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभारी हूँ भैया जी 🙏🙏
ReplyDeleteकृष्णा वर्मा जी को बहुत ही भावपूर्ण एवं उम्दा सृजन के लिए हार्दिक बधाई ।
सत्या जी मर्मस्पर्शी क्षणिकाएँ ।बधाई
ReplyDeleteकृष्णा जी भावपूर्ण क्षणिकाओं के लिए बधाई
ReplyDeleteमेरी क्षणिकाओं को सहज साहित्य में स्थान देने के लिए बहुत आभार भाईसाहब।
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी क्षणिकाएँ....बहुत बधाई सत्या जी।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचनाएँ ।आप दोनों को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक भावपूर्ण क्षणिकाएँ....
ReplyDeleteसत्या जी एवं कृष्णा जी हार्दिक बधाइयाँ
सभी क्षणिकाएं दिल छू लेने वाली। सत्या जी व आदरणीय कृष्णा दी को सुंदर सृजन के लिए बहुत बधाई।
ReplyDeleteभावना सक्सैना
आप दोनों का ही सृजन बहुत बेहतरीन है, हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन ....सत्या जी तथा आद. कृष्णा जी को हार्दिक बधाई!!!
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ बेहद उम्दा एवं भावपूर्ण.
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