डॉ०पूर्णिमा राय ,अमृतसर
1
दिलों में प्रणय की कहानी न होती
धरा पर जीवन की रवानी न होती
सुनो गान झरने का मधुरिम सुरीला
बिना जल ये कुदरत सुहानी न होती।
2
पिता के प्यार से बढ़कर नही दौलत जमाने में
सहे विपदा के ये बादल है जीवन को सजाने में
घटा छाये कभी सावन पिता छोड़े नहीं उँगली ,
बना नैया का है माँझी ये सागर पार जाने में।।
3
नहीं ठहरा निगाहों में सदा आँसू ये बहते है
मिले नफरत अगर दिल को ये हरपल गम ही सहते है
बड़ा अनमोल जीवन है गँवाना मत इसे यूँ ही
निराशा में मिले आशा ये मन
संयम में रहते है।।
4
जुबाँ चुप है ये आँखें नम वही हरपल सताती है
बहाकर प्रेम की धारा वही रिश्ते निभाती है
बदल जाती हैं तस्वीरें नहीं दिल ये कभी बदलें
बसी दिल में हो तस्वीरें वही मन को लुभाती है।।
5
किसी से भी नहीं कम है अजी औरत ज़माने में
किया जीवन समर्पित है घरौंदे को बनाने में
दिखाती हुनर है अपना मनोबल के निशाने से
रही है प्रेम की सूरत सदा सीरत दिखाने में।।
-0-
सभी मुक्तक सुन्दर ....
ReplyDelete'पिता के प्यार से बढ़कर' ...और ....'किसी से भी नहीं कम है '...अनुपम !
हार्दिक बधाई !!
sundar rachnaayen!
ReplyDeletenahin thahara............ye man sanyam mein rahate hain.sunder bhav liye muktak hai.badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
सभी मुक्तक उम्दा भावपूर्ण
ReplyDelete1
दिलों में प्रणय की कहानी न होती
धरा पर जीवन की रवानी न होती
सुनो गान झरने का मधुरिम सुरीला
बिना जल ये कुदरत सुहानी न होती।
2
पिता के प्यार से बढ़कर नही दौलत जमाने में
सहे विपदा के ये बादल है जीवन को सजाने में
घटा छाये कभी सावन पिता छोड़े नहीं उँगली ,
बना नैया का है माँझी ये सागर पार जाने में।।
ये दोनों विशेष रूप से सुन्दर लगे
:)
बेहद खूबसूरत मुक्तक। बधाई।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमुक्तक सभी उत्कृष्ट , गहराई लिए हुए
ReplyDeleteबधाई
‘रही है प्रेम की सूरत’
ReplyDeleteके अंतर्गत लिखे सभी मुक्तक सुन्दर और भाव पूर्ण हैं। विशेषकर लगे। सुंदर गान झरने का मधुरिम सुरीला /बिना जल ये कुदरत सुहानी न होती। दूसरा भी बहुत बढ़िया लगा। … पिता के प्यार से बढ़कर नही दौलत जमाने में / सहे विपदा के ये बदल है जीवन सजाने में।
नहीं ठहरा निगाहों में....बहुत सुन्दर मुक्तक...बधाई आपको।
ReplyDeleteसभी विद्वजनों का तहे दिल से आभार !!
ReplyDeleteज्योति कलश जी
अमित अग्रवाल जी पुष्पा मेहरा सुनीता अग्रवाल अनीता जी ओंकार गुप्ता मंजू गुप्ता जी कमला जी कृष्णा जी!!आपकी प्रतिक्रिया लेखन को सशक्त आधार देने में समर्थ है !!!
सभी विद्वजनों का तहे दिल से आभार !!
ReplyDeleteज्योति कलश जी
अमित अग्रवाल जी पुष्पा मेहरा सुनीता अग्रवाल अनीता जी ओंकार गुप्ता मंजू गुप्ता जी कमला जी कृष्णा जी!!आपकी प्रतिक्रिया लेखन को सशक्त आधार देने में समर्थ है !!!
Bahut gahan bhav hain in sabhi muktakon men hardik badhai....
ReplyDeleteman mohte muktak !पिता के प्यार से बढ़कर नही दौलत जमाने में
ReplyDeleteसहे विपदा के ये बादल है जीवन को सजाने में
घटा छाये कभी सावन पिता छोड़े नहीं उँगली
बना नैया का है माँझी ये सागर पार जाने में।।
,sundarta ke saath bade gahree bhaav ldarshatee rachnao ke liye badhai sweekaar karen purnima ji !
अच्छी रचनाएँ
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें
तहे दिल से आभार !
ReplyDeleteभावना जी, ज्योत्सना जी एवं कविता जी !
बहुत मनभावन मुक्तक हैं सभी...हार्दिक बधाई...|
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