1-डॉ०ज्योत्स्ना शर्मा
1
दीप जला कर ज्ञान के , किया जगत उजियार ,
ज्योति पुंज ! नित-नित करूँ,नमन
कोटिकों बार !!!
-0-
2-डॉ० कविता भट्ट
एक पुल जो इतिहास बन गया
सौ योजन पर सेतु बाँधा था,
इनसे अच्छे तो बंदर थे,
मुँह चिढ़ा रहे आते–जाते उस पुल के अस्थि पंजर थे।
त्रिशंकु-
सा झूलता एक पुल जो इतिहास बन गया,
अपना
भाग्य कोसता लोकतन्त्र का परिहास बन गया।
ढोती हुई निष्पाप भूखे–
मजदूरों के पंजर,
अर्धनिर्मित अवशेष लोहा–सरिये–पिल्लर।
हर
लहर भूखे लोकतन्त्र की कहानी कहती है,
उपहास
करती, नीचे इसके जो नदी बहती है।
भूख उन मजदूरों की,
जिनका पाप मात्र था–रोटी,
भूख उनकी भी,
असीम रही जो खाते सदा ही बोटी ।
लोहा
तो वे यूँ ही पचा जाते हैं, बिना
किए जुगाली,
सरिया–सीमेंट तो उन्होंने प्रशिक्षण में ही चबा ली।
अब सुनते हैं कि इस पुल की कथा में
क्या है सम्भव
इसके असफल निर्माताओं का क्या –क्या
है अनुभव?
निर्लज्ज
कहते– हँसी आती, उन मूर्ख बंदरों
पर,
जो
पुल बनाते अपरिचित की स्त्री के हरण पर।
सेतु हेतु वर्षों भूखे–प्यासे संघर्ष किया जिन्होंने
भारी ।
स्वर्णलंका–दहन हेतु स्वयं झुलसने की की थी तैयारी ।
हम
तो कमीशन–मलाई, लालच–ब्रेड को लगाकर,
कभी
इस फ्लेवर और कभी उस फ्लेवर में खाते हैं ।
फिर भी हमारे लोहे,
सरिया और सीमेण्ट के पुल
कुछ कृशकाय मजदूरों के भार से ही
ढह जाते हैं।
यदि
त्रेता में राम अपने पुल का टेंडर हमसे भरवाते,
हम
घाटे का सौदा न करते पुल भी नहीं बनाते
और मूल्यवान सोने की सम्पूर्ण
लंका बचा लेते।
कुछ बिस्किट ले–देकर ही मामला निबटा लेते।
-०-
डॉ० कविता भट्ट ,दर्शनशास्त्र
विभाग ,हे०न०ब०गढ़वाल विश्वविद्यालय
श्रीनगर (गढ़वाल) उत्तराखण्ड
Bahut sundar bhav..,
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर दोहा !
ReplyDeleteभ्रष्टाचार की दुखद गाथा कविता भट्ट जी !
'शिक्षा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !'
~ सादर
अनिता ललित
सादर
दोनों रचनाएँ सार्थक हैं !
ReplyDeleteकरारा व्यंग
ReplyDeleteगुरु कैसा हो !
गणपति वन्दना (चोका )
बहुत भावपूर्ण......बधाई !
ReplyDeleteBahut Achche
ReplyDeleteयदि त्रेता में राम अपने पुल का टेंडर हमसे भरवाते,
ReplyDeleteहम घाटे का सौदा न करते पुल भी नहीं बनाते
और मूल्यवान सोने की सम्पूर्ण लंका बचा लेते।
कुछ बिस्किट ले–देकर ही मामला निबटा लेते।
बहुत चुटीला व्यंग्य है इन पंक्तियों में...| हार्दिक बधाई...|
यदि त्रेता में राम अपने पुल का टेंडर हमसे भरवाते,
ReplyDeleteहम घाटे का सौदा न करते पुल भी नहीं बनाते
और मूल्यवान सोने की सम्पूर्ण लंका बचा लेते।
कुछ बिस्किट ले–देकर ही मामला निबटा लेते।ka
bahut khoob ............kavita ji ...jyotsna ji ka doha bhi bahut khoob.....aap dono badhai ke paatr hai .