पथ के साथी

Wednesday, October 26, 2022

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 इस दीवाली

 शशि पाधा

 

इस दीवाली दीप माल में 

आस की ज्योत जलाना मीता  


हर घर में उजियारा छाए
 

प्रेम की लौ बिखराना मीता 

 

दीपों की लड़ियों में हम- तुम 

धूप किरन को गूँथेंगे

झिलमिल तारों की लड़ियों को 

कंदीलों में बुन लेंगे

 

परहित जलती सूरज -ज्योति 

धरती पर ले आना मीता 

दीप वही जलाना मीता 

 

वैर-द्वेष की लाँघ दीवारें 

मिल-जुल पर्व मनाएँगे

हर देहरी रंगोली होगी 

मंगल- कलश सजाएँगे 

 

नीले अम्बर की बदली से 

नेह गगरी भर लाना मीता 

अँगना में बरसाना मीता 

 

चलो कहीं विश्वास जगाकर 

अधरों पे मुस्कान धरें 

चलो कहीं बाँटें फुलझड़ियाँ 

मिश्री मेवे थाल भरें 

 

आज किसी खाली झोली को 

खुशियों से भर जाना मीता 

ऐसा पर्व मनाना मीता 

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5 comments:

  1. वाह! बहुत ही सुंदर रचना।
    हार्दिक बधाई आदरणीया दीदी को।

    दीपोत्सव की अनन्त शुभकामनाएँ!

    सादर

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  2. प्रिय शशि जी , आपका " इस दिवाली " गीत , माधुर्य रस से परिपूर्ण है । बहुत बधाई सुन्दर कविता के लिये ।दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई ।

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  3. दिवाली पर रची ख़ूबसूरत कविता ने मन मोह लिया शशि जी। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सविता अग्रवाल”सवि”

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  4. अतिसुन्दर भाव!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  5. सुन्दर , मनोहारी कविता के लिए बहुत बधाई

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