पथ के साथी

Thursday, July 28, 2022

1210

 माँ 

-रश्मि विभा त्रिपाठी

अपने सारे सुख- आराम




तुमने मेरे लिए छोड़े

सारे के सारे पैसे

मेरे लिए जोड़े

और खरीदी हैं मेरे लिए

खुशियाँ तमाम

माँ तुम्हें मेरा सलाम!

 

मुझे जनम देकर

नई दुनिया दिखाई

तुम्हारे लिए मैं

परियों के देश से आई

मैं राजकुमारी तुम्हारे महल की

बेटी नहीं हूँ आम

माँ तुम्हें मेरा सलाम!

 

मेरी आवाज में

घुला तुम्हारा स्वर है

मुझे बस इतनी खबर है

कि तुम खिल उठती हो फूलों- सी

दोहराकर मेरा नाम

माँ तुम्हें मेरा सलाम!

 

मेरी आँखों ने जो देखा

पलकों पे पढ़के सपनों की रेखा

उन सपनों को पूरा करना

होता तुम्हारा काम

माँ तुम्हें मेरा सलाम!

 

मुझे आगे बढ़ाने में

शिखर पर चढ़ाने में

तुमने कितनी कड़ी मेहनत की है

दिन- रात, सुबह- शाम

माँ तुम्हें मेरा सलाम!

 

मिली मुझे जो कामयाबी

उसकी तुम एक चाबी

तुम्हारे सागर- से गहरे प्यार का है माँ

ये सीप के मोती- सा ईनाम

माँ तुम्हें मेरा सलाम!

2 comments:

  1. माँ के प्रति समर्पित भाव अति सुंदर होते हैं... सुंदर रचना 😊बधाई 🌹

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  2. बहुत सुन्दर कविता 👌👌

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