माँ
-किमाया शर्मा
अपने सारे सुख- आराम
तुमने मेरे लिए छोड़े
सारे के सारे पैसे
मेरे लिए जोड़े
और खरीदी हैं मेरे लिए
खुशियाँ तमाम
माँ तुम्हें मेरा सलाम!
मुझे जनम देकर
नई दुनिया दिखाई
तुम्हारे लिए मैं
परियों के देश से आई
मैं राजकुमारी तुम्हारे महल की
बेटी नहीं हूँ आम
माँ तुम्हें मेरा सलाम!
मेरी आवाज में
घुला तुम्हारा स्वर है
मुझे बस इतनी खबर है
कि तुम खिल उठती हो फूलों- सी
दोहराकर मेरा नाम
माँ तुम्हें मेरा सलाम!
मेरी आँखों ने जो देखा
पलकों पे पढ़के सपनों की रेखा
उन सपनों को पूरा करना
होता तुम्हारा काम
माँ तुम्हें मेरा सलाम!
मुझे आगे बढ़ाने में
शिखर पर चढ़ाने में
तुमने कितनी कड़ी मेहनत की है
दिन- रात, सुबह- शाम
माँ तुम्हें मेरा सलाम!
मिली मुझे जो कामयाबी
उसकी तुम एक चाबी
तुम्हारे सागर- से गहरे प्यार का है माँ
ये सीप के मोती- सा ईनाम
माँ तुम्हें मेरा सलाम!
सहजता से लिखी गई सुंदर कविता।बधाई किमाया शर्मा
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कविता, किमाया को हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteसरल सहज शब्दों में पिरोये सुंदर भाव। किमाया शर्मा को बहुत बहुत बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteमाँ के प्रति समर्पित भाव अति सुंदर होते हैं... सुंदर रचना 😊बधाई 🌹
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता 👌👌
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता। प्रिय किमाया शर्मा आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत ही मनभावन कविता! आपको हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteमाँ पर बहुत सुन्दर और प्यारी कविता. किमाया को बहुत स्नेह एवं बधाई.
ReplyDeleteकिमाया के सहज मन से निकले माँ के प्रति नैसर्गिक उद्गार । कविता पढ़कर मन आनंद से भर गया ।बिटिया को शुभाशीष और शुभकामनाएँ । 😇👍
ReplyDeleteकिमाया के कोमल भाव से ओतप्रोत रचना ने मन मोह लिया । बहुत सा प्यार और शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteइन पंक्तियों के साथ किमाया ने बहुत सुन्दर तरीके से अपने मनोभावों को व्यक्त किया है | बहुत शुभकामनाएँ और प्यार
ReplyDelete