1-स्वप्न-पुष्प
अनिता मंडा
नित्य उगते सूरज के
साथ पकाती रही
सोने -सी रोटियाँ
नित्य रिक्त होता रहा
कुएँ
जैसा पेट
फिर भी कभी उफ़ तक
नहीं आई होंठों पर
आग पर रोटियाँ सेकती
कभी भयभीत नहीं हुई
आग से
पर बाक़ी थी अभी भी
अग्निपरीक्षा
पंख जलाने के लिए
मन की उड़ानें बेपर हो
गई।
स्वप्न-राख का भभूत
तुम
माथे तो लगा सकते हो
जीवित भी कर सकोगे
स्वप्न-पुष्प
जिनका मधुर पराग
मधु बन जाता।
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2-रश्मि विभा त्रिपाठी
बाकी थी अभी भी अग्नि परीक्षा,, स्वप्न पुष्प,
ReplyDeleteआज़ादी का ख्वाब,, अधिकार,, बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएं। आद अनिता मंडा जी एवं आद रश्मि विभा त्रिपाठी जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं-परमजीत कौर'रीत'
बहुत सुन्दर और सार्थक रचनाएँ. अनिता जी और रश्मि जी को बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुंदर ,भावपूर्ण कविताएँ। अनिता जी, रश्मि जी हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ सुंदर, अनिता जी और रश्मि जी को बधाई!
ReplyDeleteसमाज से सवाल करती रश्मि जी की सार्थक कविता, बधाई।
ReplyDeleteमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभारी हूँ।
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ ही बहुत ख़ूबसूरत,अनिता जी और रश्मि जी को हार्दिक बधाई।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत कुछ अनकहा भी कह जाती हैं ये दोनों रचनाएँ...| भावपूर्ण और सुन्दर कविताओं के लिए अनीता और रश्मि जी को बहुत बधाई
ReplyDeleteअनिता जी एवं रश्मि जी बहुत ही सुंदर एवं भावपूर्ण रचनाएँ
ReplyDeleteहार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें
सुंदर भावपूर्ण रचनाओं के लिए अनीता जीऔर रश्मि जी को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteरचना प्रकाशन हेतु सम्पादक जी का हार्दिक आभार।
ReplyDeleteआप सभी आत्मीयजनों की टिप्पणी का बहुत-बहुत शुक्रिया।
सादर