पथ के साथी

Wednesday, March 10, 2021

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 1-स्वप्न-पुष्प

अनिता मंडा

 

नित्य उगते सूरज के साथ पकाती रही

सोने -सी रोटियाँ

नित्य रिक्त होता रहा कुएँ जैसा पेट

फिर भी कभी उफ़ तक नहीं आई होंठों पर

आग पर रोटियाँ सेकती 

कभी भयभीत नहीं हुई आग से

पर बाक़ी थी अभी भी अग्निपरीक्षा

पंख जलाने के लिए

मन की उड़ानें बेपर हो गई।

स्वप्न-राख का भभूत तुम

माथे तो लगा सकते हो

जीवित भी कर सकोगे स्वप्न-पुष्प

जिनका मधुर पराग

मधु बन जाता।

*-0-     

 2-रश्मि विभा त्रिपाठी



 [ हरियाणा प्रदीप 10 मार्च-21]

11 comments:

  1. बाकी थी अभी भी अग्नि परीक्षा,, स्वप्न पुष्प,
    आज़ादी का ख्वाब,, अधिकार,, बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएं। आद अनिता मंडा जी एवं आद रश्मि विभा त्रिपाठी जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं-परमजीत कौर'रीत'

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  2. बहुत सुन्दर और सार्थक रचनाएँ. अनिता जी और रश्मि जी को बधाई.

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  3. बहुत सुंदर ,भावपूर्ण कविताएँ। अनिता जी, रश्मि जी हार्दिक बधाई।

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  4. दोनों रचनाएँ सुंदर, अनिता जी और रश्मि जी को बधाई!

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  5. समाज से सवाल करती रश्मि जी की सार्थक कविता, बधाई।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभारी हूँ।

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  6. दोनों रचनाएँ ही बहुत ख़ूबसूरत,अनिता जी और रश्मि जी को हार्दिक बधाई।

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  7. बहुत सुंदर

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  8. बहुत कुछ अनकहा भी कह जाती हैं ये दोनों रचनाएँ...| भावपूर्ण और सुन्दर कविताओं के लिए अनीता और रश्मि जी को बहुत बधाई

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  9. अनिता जी एवं रश्मि जी बहुत ही सुंदर एवं भावपूर्ण रचनाएँ
    हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें

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  10. सुंदर भावपूर्ण रचनाओं के लिए अनीता जीऔर रश्मि जी को हार्दिक बधाई।

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  11. रचना प्रकाशन हेतु सम्पादक जी का हार्दिक आभार।
    आप सभी आत्मीयजनों की टिप्पणी का बहुत-बहुत शुक्रिया।

    सादर

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