1-करो भोर का अभिनंदन
रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
मत उदास हो मेरे मन
करो भोर का अभिनन्दन!
काँटों का वन पार किया
बस आगे है चन्दन-वन।
बीती रात, अँधेरा बीता
करते हैं उजियारे वन्दन।
सुखमय हो सबका जीवन!
आँसू पोंछो, हँस देना
धूल झाड़कर चल देना।
उठते –गिरते हर पथिक को
कदम-कदम पर बल देना।
मुस्काएगा यह जीवन।
कलरव गूँजा तरुओं पर
नभ से उतरी भोर-किरन।
जल में ,थल में, रंग भरे
सिन्दूरी हो गया गगन।
दमक उठा हर घर-आँगन।
-0-
2-अलविदा-मंजूषा मन
मैं भी वैसे ही आया था
इस दुनिया में,
जैसे सब आते हैं
अबोध नवजात,
कोमल,
एक बर्फ़ीली रात में ठिठुरता,
नहीं जानता था
क्या होती है विपदा
दर्द और पीड़ा से अनजान
मैं...
खाली हाथ था,
नहीं लाया अपने साथ
शुभाशुभ का पूर्वाग्रह,
कोई रोना।
अभी चलना सीख ही रहा था
कि थम गया सब कुछ,
आपदाओं ने पसार लिए पाँव,
मैंने किसी को नहीं मारा,
कब्रों और जलती चिताओं का
मैं केवल साक्षी बना,
नहीं किया कुछ भी तहस नहस
मैंने अपने हाथों से,
मेरे सिर क्यों फोड़े सारे ठीकरे
मेरे माथे क्यों मढ़े सारे कलंक
सारी मौतें, सारी भूख
मुझे तो बीतना था पन्ने दर पन्ने
सो लो मैं बीत चला,
लाओ समेट कर धर दो
मेरे हाथों में सब
मैं लाया तो नहीं था
पर सम्भवतः ले जा सकूँ।
मैं... दो हजार बीस
ले जाऊँगा तुम्हारे दिए सारे आरोप,
तुम्हारी पीड़ा,
फिर कभी लौटकर न आऊँगा,
अलविदा... अलविदा... अलविदा...
-0-
डॉ सुरंगमा यादव
आओ मिल गाएँ स्वागत गीत!
जग देहरी पर नवल सूर्य का
देख आगमन हर्षित जन-मन
मंगलकारी-भव दुःखहारी
बन कर आया मीत
आओ मिल गाएँ स्वागत गीत !
क्रन्दन कलरव में बदले
टूटे तार जुड़ें मन के
गूँज उठे फिर जीवन में
खोया मृदु संगीत
आओ मिल गाएँ स्वागत गीत !
अभिनन्दन नववर्ष तुम्हारा
हर्षाए आँगन- चौबारा
गत दुःख की छाया से जग
फिर न हो भयभीत
आओ मिल गाएँ स्वागत गीत!
--0-
4- दीप हूँ मैं-पूनम सैनी
जल रहा है मेरा कण - कण
मिट रहा हूँ मैं प्रतिक्षण
अंधियारे से टक्कर लेता
रोशन जहाँ बनाता हूँ मैं
बस इतना ही सोचकर...
जन-जन के लिए एक सीख हूँ मैं
जलना काम है मेरा
दीप हूँ मैं...दीप हूँ मैं।
-0-
मत उदास हो मेरे मन
ReplyDeleteकरो भोर का अभिनन्दन!
प्रेरक सुंदर सकारात्मक गीत
नव वर्ष की पूर्व संध्या पर यही ऊर्जा ज़रूरी थी आभार।
मंजूषा जी, सुरंगमा जी, पूनम जी सुंदर कविताएँ। बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया अनिता जी
Deleteबहुत सुन्दर गीत -मत उदास हो मेरे मन.....'
ReplyDeleteमंजूषा जी की सुन्दर कविता ..सच है समय चक्र अपनी गति से चलता है ..किसी को दोष क्या देना।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए आदरणीय भैया जी को हृदय से आभार ।
हार्दिक आभार सुरँगमा जी
Deleteकाँटों का वन पार किया
ReplyDeleteबस आगे है चन्दन-वन।
सकारात्मक,प्रेरणादायी गीत।
मंजूषा जी ,सुरंगमा जी,पूनम जी बहुत सुंदर कविताओं के लिेए बधाई
सादर आभार आदरणीय सुदर्शन दीदी
Deleteकरो भोर का अभिनंदन,, साकारात्मक एवं प्रेरणादायक गीत।
ReplyDeleteअलविदा,, अभिनंदन,दीप,,, सभी भावपूर्ण रचनाएं।
आप सभी को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
हार्दिक आभार आपका
Deleteक्या कहे, एक से बढ़कर एक सुंदर भावपूर्ण रचनाएँ ।
ReplyDeleteकिसी में सकारात्मक संदेश है तो किसी में सच कहने का साहस, सभी रचनाएँ आशा के दीप प्रज्ज्वलित कर रही ।
काम्बोज सर, मंजूषा जी, सुरंगमा जी एवं पूनम जी आप सभी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें ।
नववर्ष सबके लिए मंगलमय हो यही कामना करते हैं ।
बहुत बहुत आभार पूर्वा जी
Deleteबस आगे हैं चंदन वन....मन में आशा के दीप जलाती सुंदर कविता। आदरणीय आपको बधाई एवम शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteमंजुषा जी, सुरँगमा जी और पूनम जी को भी सुंदर सृजन के लिए अनेकों बधाई!
जी हार्दिक आभार प्रीति जी
Deleteनयी भोर के अभिनंदन की सुंदर रचनाएँ-,बधाई।
ReplyDeleteआप सभी के जीवन में खुशियाँ चहकती रहें ।
हार्दिक आभार आदरणीय
Delete
ReplyDeleteकरो भोर का अभिनंदन...सुन्दर सन्देश फैलाता प्रेरणादायक गीत।
सभी रचनाएँ सुन्दर व भावपूर्ण हैं। नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवँ शुभकामनाएँ!
हृदय से आभार ज्योत्स्ना जी
Deleteबहुत सुन्दर और सारगर्भित।
ReplyDeleteनव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
हार्दिक आभार आपका
Deleteअनन्त शुभकामनाएं
करो भोर का अभिनन्दन!
ReplyDeleteकाँटों का वन पार किया
बस आगे है चन्दन-वन।
बीती रात, अँधेरा बीता
करते हैं उजियारे वन्दन।
सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं ... उपरोक्त पंक्तियां बहुत ही प्रेरक एवम सकारात्मक हैं।
आप सभी को नूतन वर्ष की अनंत मंगलकामनाएं 💐💐
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteनववर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएँ!��
सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर और भावपूर्ण.
ReplyDeleteकाम्बोज भैया की रचना के भाव प्रेरित भी करते हैं और आस भी जगाते हैं...
मत उदास हो मेरे मन
करो भोर का अभिनन्दन!
काँटों का वन पार किया
बस आगे है चन्दन-वन।
सचमुच 2020 ईस्वी पर ढेरों आरोप लगे; अंततः वह हमेशा के लिए चला गया. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना है मंजूषा जी की.
सुरंगमा जी की स्वागत करती रचना बहुत अच्छी लगी.
पूनम सैनी जी की कविता दीप के माध्यम से मन में ज्योत जगा रही है.
सुन्दर सृजन के लिए आप सभी को हार्दिक बधाई.
जी आआपक बहुत बहुत आभार जेन्नी जी
Deleteमत उदास हो मेरे मन...ऊर्जित करता बहुत सुंदर गीत। हार्दिक बधाई भाईसाहब।
ReplyDeleteमंजुषा जी, सुरँगमा जी और पूनम जी को भाववपूर्ण सृजन के लिए बहुत-बहुत बधाई!
हार्दिक आभार कृष्णा जी
Deleteसभी कविताएँ एक से बढ़कर एक हैं मन में नई ऊर्जा देती कविताएँ हैंसभी रचनाकारों को बधाई और नववर्ष की मंगलकामनाएँ।
ReplyDeleteहृदयतल से आभार सविता जी
Deleteकाँटों का वन पार किया
ReplyDeleteबस आगे है चन्दन-वन।
बीती रात, अँधेरा बीता
करते हैं उजियारे वन्दन।
निसि दिन मन इसी भाव जगत में विचरण कर रहा है आदरणीय भैया !
नव-वर्ष पर हृदय को नव ऊर्जा, नई आस, नए उल्लास से भरती अति सुंदर रचना ।
नव-वर्ष पर सुंदर सृजन, सुंदर संकलन।
अभिनंदन, नमन भैया 🙏
बहुत सुन्दर
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