पथ के साथी

Friday, May 29, 2020

तीन रचनाएँ


रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1-पंछी करे न काम  

 
अजगर करे न चाकरी
पंछी करे न काम ।
अजगर उलटे लटक रहे हैं  
दूध रात-दिन गटक रहे हैं
काम नहीं करते रत्ती भर
फण पत्थर पर पटक रहे हैं
          अख़बारों में छप रहा
          अजगर का ही नाम ।
पंछी की जब से  बात चली
उल्लू बोले हैं गली-गली
नुक्कड़ पर चौराहों पर भी
इनकी ही सूरत लगी भली ।
          घर-घर में जाकर करें
अब उल्लू प्रणाम ।
ढेरों अजगर दूकानों में
जंगल  में, कब्रिस्तानों में
सोफ़े, कुर्सी ऊपर बैठे
 ये अजगर रेगिस्तानों में ।
          पूजा करता नेम से
           अजगर सुबह-शाम ।
पंछी बैठे हैं दफ़्तर में
दाने-दुनके के चक्कर में
अन्तिम साँसें गिनती है अब
फ़ाइल जो लेटी ठोकर में ।
          हिलना-डुलना  है मना
          बिना लिये कुछ दाम ।
-0-
2-शाम

भीगे नयन खुले किवारे, गगन हुआ अभिराम । 
नहा-धोकर  बैठी द्वारे , बनी जोगिया शाम ।
  -0-

3-मुक्तक 
1
रात का छाया अँधेरा सोच कैसी 
दूर है बैठा सवेरा सोच कैसी ।
तू अकेला ही भोर ला सकता यहाँ
साथ में साथी न तेरा सोच कैसी । ।
2
सूने हृदय में ज्योति जगाकर देख ले 
कभी ग़ैर को अपना बनाकर देख ले ।
मुस्कान से भर जाएगी यह ज़िन्दगी
किसी रोज़ दो आँसू बहाकर देख ले ।।

15 comments:

  1. सूने हृदय में ज्योति जगाकर देख ले
    कभी ग़ैर को अपना बनाकर देख ले ।
    मुस्कान से भर जाएगी यह ज़िन्दगी
    किसी रोज़ दो आँसू बहाकर देख ले ।।

    - बहुत सुन्दर मुक्तक!
    - अन्य सभी रचनाएँ मुग्धकर हैं! शब्दावली, लय एवं भाव हृदय को आनंदित करने वाले हैं।
    हार्दिक बधाई!

    कुँवर दिनेश

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  2. सूने हृदय में ज्योति जगाकर देख ले
    कभी ग़ैर को अपना बनाकर देख ले ।
    मुस्कान से भर जाएगी यह ज़िन्दगी
    किसी रोज़ दो आँसू बहाकर देख ले ।।

    - बहुत सुन्दर मुक्तक!
    - अन्य सभी रचनाएँ मुग्धकर हैं! शब्दावली, लय एवं भाव हृदय को आनंदित करने वाले हैं।
    हार्दिक बधाई!

    कुँवर दिनेश

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  3. पंछी करे न काम व्यंग्यात्मक सुंदर कविता । शाम और दोनों मुक्कत्तक भी बहुत बढिया ।बधाई भैया।
    आपकी रचनाएँ पढ़ने को मिल रही हैं। बहुत अच्छा लगता है।

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  4. जोगिया शाम में ज्योति का उजियारा भरने का सुंदर भाव । अजगर के माध्यम से वर्तमान भ्रष्टाचार पर प्रहार ।
    बधाई अच्छी रचना के लिए ।

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  5. सटीक व्यंग्य एवं बहुत सुंदर मुक्तकों के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय भाई साहब जी।

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  6. भाई काम्बोज जी आपकी रचनात्मक शक्ति को नमन |सूने ह्रदय में ज्योति जगाकर देख ले ...कभी गैर को अपना बनाकर देख ले .. बहुत खूब | हार्दिक बधाई स्वीकारें |

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  7. बहुत सुन्दर।
    पत्रकारिता दिवस की बधाई हो।

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  8. पंछी बैठे हैं दफ्तर में, दाने-दुनके के चक्कर में....यथार्थ का सटीक और रोचक वर्णन।
    रात का छाया अंधेरा सोच कैसी...बहुत सुंदर, बधाई स्वीकारें भाई साहब।

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  9. सुन्दर रचनाएँ आदरणीय ।

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  10. तीनों रचनाएँ बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण, बधाई काम्बोज भाई.

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  11. सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक.... भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति
    गुरुवर को हार्दिक शुभकामनाएँ

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  12. एक से बढ़ कर एक भावपूर्ण रचनाएँ....बहुत बधाई भाईसाहब।

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  13. सूने हृदय में ज्योति जगाकर देख ले
    कभी ग़ैर को अपना बनाकर देख ले ।
    मुस्कान से भर जाएगी यह ज़िन्दगी
    किसी रोज़ दो आँसू बहाकर देख ले ।।
    अति सुन्दर !
    बहुत सुन्दर रचनाएँ हैं भैया जी... हृदय-तल से बधाई !

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  14. मेरी रचनाओं को पसन्द करने लिए आप सभी मर्मज्ञजन का हार्दिक आभार -रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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  15. सभी रचनाएँ अत्यंत भावपूर्ण अवने मर्मस्पर्शी हैं...

    हार्दिक बधाई आदरणीय रामेश्वर सर

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