पथ के साथी

Thursday, February 7, 2019

876


ज्योत्स्ना प्रदीप 

01. शृंगार 

रमेश गौतम
नागफनी ने 
अपने बदन को 
कैसा सजाया 
न दिल टूटा 
न कोई 
पास आया !

02. ज़िक्र 

गोरी बदलियों को
फ़िक्र है 
आज 
काले बादलों में 
उनका ज़िक्र है!!

03. अश्क़ 

हाँ मुझे रश्क़ 
होता है 
जब तेरी आँखों में 
किसी के 
नाम का एक 
अनबहा 
अश्क़ होता है!

04.सौगात 

कल रात 
निशिगंधा के फूल 
दे गए थे मुझे 
अँधेरों  में भी 
खिलने की सौगात !
   
05.मेहरबान 

ये मेरे 
सब्र  की इन्तेहाँ  है 
वो जो 
आजकल 
मुझ पर 
इतना  मेहरबान  है!!

O6.चाँदनी 

 आज चाँदनी 
नहीं थी होश में 
उतर रही थी 
दरिया के 
आगोश मे !

07.  क़सक 

माँ बाप की 
गोद में 
लैपटॉप पाकर 
सो गई थी छुटकी 
आँसुओं में नहाकर !
-0-

7 comments:

  1. बहुत बेहतरीन क्षणिकाएँ हैं, सब एक से बढ़ कर एक...। मेरी हार्दिक बधाई...।

    ReplyDelete
  2. सभी क्षणिकाएँ हृदयस्पर्शी..... एक से बढ़कर एक ..... भावभीनी.... बहुत सुन्दर..
    ज्योत्स्ना जी सुंदर सृजन के लिए बधाइयाँ |

    ReplyDelete
  3. नागफनी ने
    अपने बदन को
    कैसा सजाया
    न दिल टूटा
    न कोई
    पास आया !
    bahut khoob
    rachana

    ReplyDelete
  4. बहुत उम्दा क्षणिकाएँ...ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर, भावपूर्ण क्षणिकाएँ ज्योत्स्नाजी .। हार्दिक बधाई

    ReplyDelete
  6. मेरी क्षणिकाओं को यहाँ स्थान देने के लिए तहे दिल से आभारी हूँ भैया जी की...साथ ही आप सभी की भी जो अपना अमूल्य समय निकालकर टिप्पणी करते हैं!प्रभु की कृपा से ये स्नेह इसी तरह बना रहे !!

    ReplyDelete
  7. ज्योत्स्ना जी बहुत सुन्दर सृजन है मुझे जो क्षणिका सबसे अधिक पसंद आयी वह है ...माँ बाप की गोद में ...| हार्दिक बधाई स्वीकारें |

    ReplyDelete