पथ के साथी

Sunday, November 5, 2017

774


1-मंजूषा मन
जलन

लड़कियाँ अकर जल जातीं हैं
कभी चाय से
कभी गर्म पानी से
कभी दाल, कभी चिमटा, कभी तेल,

वे छुपा लेतीं हैं 
चेहरे से पीड़ा के भाव
वे छुपा लेतीं हैं 
बदन पर पड़े छाले,

मुस्कुराते हुए
परोस लातीं हैं थाली
छानकर दे देतीं हैं चाय,

कभी -कभी जो उभर भी आए 
पीड़ा की रेखाएँ
चेहरे पर, दर्द आँखों में
तब देखता ही कौन है।
बस इसलिए ही
लड़कियाँ जलकर भी मौन हैं...
वे आग से नहीं जलती उतना
जितना 
कसर जल जाती हैं
छालों को
नज़र अंदाज़ कि जाने से....
-0-
2-डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प
1 -हम एक हैं
   

न्याय - धर्म का पाठ पढ़ाता ,
प्यारा अपना गाँव ।
गुणी जनों का है पग धरता ,
ऐसा अपना गाँव ।।
अलग-अलग हैं जाति-धर्म पर ,
हैं आपस में एक ।
सबके अपनें कर्म अलग हैं ,
फिर भी हैं हम एक ।।
दुःख में सब मतभेद भुलाकर ।
एक हो जाता गाँव ।।1।।
बहती हैं यहाँ प्रेम की धारा ,
मन में कहीं न द्वेष ।
कर्म को ही हम मानें पूजा ,
हम सबका एक भेष ।।
भावी पीढ़ी को मार्ग दिखाता ।
ऐसा प्यारा गाँव ।।2।।
-0-
2 अजब सलोना गाँव

अजब सलोना,सबसे प्यारा,
गाँव हमारा भाई ।
मस्त मगन हो पक्षी नभ में ,
उड़ रहे हैं भाई ।।1।।
हरी घास है मखमल जैसी,
चहुँ दिशा में हरियाली ।
चहक रही है डाल-डाल पर,
कोयल काली-काली ।।2।।

-0- डॉ.प्रमोद सोनवानी पुष्प ,श्री फूलेंद्र साहित्य निकेतन  पड़ीगाँव/तमनार-रायगढ़ (छ.ग.)- 496107

13 comments:

  1. मंजूषा जी, प्रमोद जी की सुंदर रचनाएँ।

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  2. मंजूषा मन जी की बेहद संवेदनशील कविता 'जलन' । मन द्रवित हो गया ।डाॅ पुष्प दोनों मधुर कविताएँ गाँव की नैसर्गिक सुन्दरता पर हैं । बधाई आप दोनों को सार्थक सृजन के लिये ।

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  3. मंजूषा जी ,प्रमोद जी बहुत शानदार सृजन। आप दोनों को हार्दिक बधाई ।

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  4. मंजूषा जी तथा प्रमोद जी, आप दोनों रचनाकारों की बहुत बढ़िया रचनाएँ है ...आप दोनों को बहुत-बहुत बधाई!!

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  5. मंजूषा जी जलन बहुत सुन्दर वर्णन है मन द्रवित करने वाला ।अक्सर लड़की और नारी भी ऐसे ही अपनी पीड़ा छुपा लेती है । प्रमोद जी आपकी रचनायें भी बहुत सुन्दर हैं गाँव की महिमा कहती । बधाई आप दोनों को ।

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  6. बहुत बढ़िया रचनाएँ...मंजूषा जी, प्रमोद जी आप दोनों को बहुत बधाई।

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  7. नारी जीवन को,उसके व्यक्तित्व को परिभाषित करती सुंदर कविता 'जलन' हेतु मंजूषा जी को बधाई|प्रमोद जी को भी बधाई |
    पुष्पा मेहरा

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  8. सुन्दर कवितायेँ

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  9. सुंदर सृजन 👌
    मंजूषा जी , प्रमोद जी हार्दिक बधाई !

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  10. कविता पसन्द करने एवं मनोबल बढ़ाने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार।

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  11. मंजूषा जी और प्रमोद जी आप दोनों की कविताएं बहुत ही बढ़िया। मंजूषा जी बेहद मार्मिक और बेहतरीन लेखन। प्रमोद जी गांव पर लिखी बहुत सुंदर प्यारी कविता। आप दोनों को बधाई।

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  12. मंजूषा जी, बहुत बेहतरीन रूप से आपने मन के भाव उकेर दिए हैं...| सच में, शरीर का घाव उतनी तकलीफ नहीं देता, जितना मन का दर्द...|
    प्रमोद जी की कविताएँ भी बहुत अच्छी लगी...|
    आप दोनों को मेरी हार्दिक बधाई...|

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  13. दोनों को हार्दिक बधाई ।

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