1-डॉ .भावना कुँअर
1
जब भी तू सपनों में आता,सूनापन भर जाता
जैसे सूखी डाली पर,नया फूल खिल जाता
हौले-हौले आकर मन में,प्रेम दीप जल जाता
रोशन करके मेरी दुनिया,बन सूरज उग जाता।
जैसे सूखी डाली पर,नया फूल खिल जाता
हौले-हौले आकर मन में,प्रेम दीप जल जाता
रोशन करके मेरी दुनिया,बन सूरज उग जाता।
-0-
रामेश्वर
काम्बोज ‘हिमांशु’
1
जिन पर हमने किया भरोसा, सारे भेद छुपाकर निकले।
खून -पसीने से जो सींचे, वे सब हमें मिटाकर निकले।
सारी उम्र ग़ुज़ारी ऐसे , जब भीड़
मिली थी छलियों की
तुमको हमने समझा गागर, पर तुम पूरे सागर निकले ॥
2
जीवन में सुख यूँ ही कम
हैं
चौराहों पर बिखरे गम
है॥
फिर भी तुम हो कहाँ
अकेले ।
साँसों के कम्पन में हम
हैं॥
-0-
सभी रचनाकारों को श्रेष्ठ रचनाओं हेतु बधाई । एक से बढ़कर एक।
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं।
ReplyDeleteदिल से निकले एक एक शब्द को पिरोती सुंदर रचनाओ के लिए डॉ. भावना कुंवर और आदरणीय भैया जी को बहुत बधाई व नमन।
ReplyDeleteसभी आदरणीयों के उत्कृष्ट रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteसभी रचनाएं बहुत ही अच्छी है ।
सभी आदरणीयों के उत्कृष्ट रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई ।
ReplyDeleteसभी रचनाएं बहुत ही अच्छी है ।
भावना जी का प्रेम भरा मुक्तक मन में कल्पनाओं का आकाश दिखाता है तो आदरणीय काम्बोज जी का मुक्तक दुनियावी सच्चाई की ठोस धरातल पर लाकर खड़ा कर देता है ।
ReplyDeleteआप दोनों को इतनी अच्छी रचनाओं के लिए ढेरों बधाई...।
सुंदर रचनाएँ |
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
सभी सुन्दर रचनाएं ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण मुक्तक !
ReplyDeleteहार्दिक बधाई दोनों रचनाकारों को !!
आदरणीय भैया जी ,आदरणीया भावना जी बहुत सुंदर मुक्तक
ReplyDeleteआप दोनों को हार्दिक बधाई
आदरणीय भैया जी एवँ भावना जी ,बहुत ही खूबसूरत रचनाएँ रची हैं आपनें ...हृदय-तल से बधाई !
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