डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
बड़े रौशन सितारे हैं ,
दुआओं में हमारे हैं ।
निगाहों में थमी गंगा ,
दिलों में तो शरारे हैं ।
नसीहत सिर्फ क्यों मुझको ,
कदम बहके तुम्हारे हैं ।
हक़ीकत है बहुत कड़वी ,
अगरचे ख़्वाब प्यारे हैं ।
चलो बदलें ,कि, समझें क्या ,
इबारत के इशारे हैं ।
2
सजाये ख़्वाब भी होंगे ,
बड़े बेताब भी होंगे ।
अदब की बस इबादत कर ,
अदब ,आदाब भी होंगे ।
गरज कर जो नहीं बरसे ,
वही बेआब भी होंगे ।
खिज़ाओं से नहीं डरते ,
शज़र शादाब भी होंगे ।
कहे किस्से हमारे कल ,
कभी नायाब भी होंगे ।
3
अजब जादू चलाया है ,
कि मौसम मुस्कुराया है ।
तरन्नुम ,गीत है तेरा ,
फ़क़त मैंने सुनाया है ।
मुहब्बत पाक सुनते थे ,
उसी ने अब डराया है ।
बुज़ुर्गों से मिला नुस्खा ,
कभी क्या आजमाया है ।
तुझे फुर्सत कहाँ इससे ,
ये अपना वो पराया है ।
ज़रा उठकर सँभलने दे ,
अभी तो होश आया है ।
हवा, ख़ुशबू,ख़्यालों को ,
जहाँ कब बाँध पाया है ।
हदों को तोड़ बहना क्यों ,
नदी को रास आया है ।
जहाँ से और जिससे भी ,
जो पाया है लुटाया है ।
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मेरी भावनाओं को यहाँ स्थान देने के लिए हृदय से आभार आपका !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
BAHUT SUNDER PRASTUTI ......JYOTSNA JI AAPKO DIL SE BADHAI.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर...बड़े ही सुन्दर ढंग से लिखी गई पंक्तियाँ हैं, जो सीधे दिल तक उतरती हैं...| ज्योत्सना जी को हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteवाह! क्या कहने ज्योत्स्ना जी ! एक से बढ़कर एक ! बहुत ही ख़ूबसूरत रचनाएँ। भाव, सुर, ताल सभी उत्कृष्ट...
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सभी ग़ज़लें एक से बढ़कर एक ..हार्दिक बधाई आपको🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌷🌷
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