मंजु मिश्रा
सुनो समय
तुम अच्छे हो कर
जल्दी आना …
लम्बा चौड़ा
इंतज़ार अब
मत करवाना !!
आते आते
कुछ मुस्कानें
कुछ खुशियां
कुछ सपने लाना
सुनो समय
तुम अच्छे होकर
जल्दी आना
सुबह शाम
चूल्हा जल पाये
हर घर आँगन
कुछ ऐसी
उम्मीदें लाना
सुनो समय
तुम अच्छे होकर
जल्दी आना
भूख छीन ले
बच्चों की दूधिया हंसी
ऐसी घटनाओं पर
कुछ अंकुश
लगवाना
सुनो समय
तुम अच्छे होकर
जल्दी आना
बेटी
घर के भीतर-बाहर
रहे सुरक्षित
लोगों को
इंसान बनाना
सुनो समय
तुम अच्छे होकर
जल्दी आना
-0-
एक सहज कविता का उदाहरण है यह रचना , जिस में भाषा की सादगी के साथ लयात्मक गुण भी है । लय आजकल की
ReplyDeleteकविताओं में प्राय: ग़ायब होती है । यदि समय मिले तो इन्टरनेट पर मेरे द्वारा सम्पादित पत्रिका सहज कविता देखें ।
आदरणीय रामेश्वर जी एवं समस्त सहज साहित्य की टीम एवं पाठकों को विजय दशमी की शुभकामनायें।
ReplyDeleteसधन्यवाद
सादर
मंजु
उदात्त भावों से परिपूर्ण सुन्दर कविता ,बहुत बधाई मंजु जी !
ReplyDeleteअच्छी कविता है आपकी।
ReplyDeleteBahut touching hai ye rachna ...bahut bahut badhai ....
ReplyDeletebahut khubsurt kavita ...badhai is kavita ke liy
ReplyDeleteमन को छूती बहुत सुन्दर कविता....बधाई आपको !
ReplyDeleteकाश, ऐसा समय आ जाय जल्दी !
ReplyDeleteSunder rachna ... Shubhkamnaayein !!
ReplyDeleteSundar evam utsah vardhak tippaniyon ke liye sabhi pathakon ko hardik dhanyawad !
ReplyDeleteसुंदर रचना !
ReplyDeleteसुन्दर एवं उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए सभी पाठकों को हार्दिक धन्यवाद !
ReplyDeleteमन को छू गई खूबसूरत कविता....बधाई आपको !
ReplyDeleteबधाई मंजुजी .. मन में अच्छे दिनों की आस जगाती बहुत सुन्दर सहज अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteमन को छूती सुंदर रचना !
ReplyDeleteKHOOBSURAT KAVITA MANJU JI.......BADHAI HAI AAPKO..
ReplyDeleteमनभावन...बहुत सुन्दर...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया कविता
ReplyDelete