पथ के साथी

Saturday, October 4, 2014

सुनो समय !




मंजु मिश्रा

सुनो समय
तुम अच्छे  हो कर
जल्दी आना

लम्बा चौड़ा
इंतज़ार अब
मत करवाना !!
आते आते
कुछ मुस्कानें
कुछ खुशियां 
कुछ सपने लाना

सुनो समय
तुम अच्छे  होकर
जल्दी आना

सुबह शाम 
चूल्हा जल पाये

हर घर आँगन
कुछ ऐसी
उम्मीदें लाना
सुनो समय
तुम अच्छे  होकर
जल्दी आना

भूख छीन ले
बच्चों की दूधिया हंसी
ऐसी घटनाओं पर
कुछ  अंकुश लगवाना
सुनो समय
तुम अच्छे  होकर
जल्दी आना

बेटी
घर के भीतर-बाहर
रहे सुरक्षित
लोगों को
इंसान बनाना
सुनो समय
तुम अच्छे  होकर
जल्दी आना

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19 comments:

  1. एक सहज कविता का उदाहरण है यह रचना , जिस में भाषा की सादगी के साथ लयात्मक गुण भी है । लय आजकल की
    कविताओं में प्राय: ग़ायब होती है । यदि समय मिले तो इन्टरनेट पर मेरे द्वारा सम्पादित पत्रिका सहज कविता देखें ।

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  2. आदरणीय रामेश्वर जी एवं समस्त सहज साहित्य की टीम एवं पाठकों को विजय दशमी की शुभकामनायें।

    सधन्यवाद
    सादर
    मंजु

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति.
    इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 05/10/2014 को "प्रतिबिंब रूठता है” चर्चा मंच:1757 पर.

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  4. उदात्त भावों से परिपूर्ण सुन्दर कविता ,बहुत बधाई मंजु जी !

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  5. अच्छी कविता है आपकी।

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  6. Bahut touching hai ye rachna ...bahut bahut badhai ....

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  7. मन को छूती बहुत सुन्दर कविता....बधाई आपको !

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  8. काश, ऐसा समय आ जाय जल्दी !

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  9. Sunder rachna ... Shubhkamnaayein !!

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  10. Sundar evam utsah vardhak tippaniyon ke liye sabhi pathakon ko hardik dhanyawad !

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  11. सुन्दर एवं उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए सभी पाठकों को हार्दिक धन्यवाद !

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  12. मन को छू गई खूबसूरत कविता....बधाई आपको !

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  13. बधाई मंजुजी .. मन में अच्छे दिनों की आस जगाती बहुत सुन्दर सहज अभिव्यक्ति ..

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  14. मन को छूती सुंदर रचना !

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  15. KHOOBSURAT KAVITA MANJU JI.......BADHAI HAI AAPKO..

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  16. मनभावन...बहुत सुन्दर...हार्दिक बधाई...|

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  17. बहुत बढ़िया कविता

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