डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
राजनीति के रंग मंच का
मँजा हुआ अभिनेता !
2
चुनाव -
एक ऐसा नाटक
जिसे अभिनेता नहीं
नेता खेलते हैं
मनोरंजन हमारा होता है
खर्च भी हमीं झेलते हैं !
3
कुर्सी -
चुनाव रूपी नाटक की नायिका
जिसके लिए नाटक से बाहर भी
संघर्ष होता है ,
आम दर्शक
पाँच वर्ष रोता है !
4
वोट-
हम कुछ यूँ
समझ पाए
दें तो भी पछताएँ
न दें तो भी पछताएँ !
5
कविता हमारी ,
सुलगते बारूद की
पहली चिंगारी !
-0-
(17-08-81 )
6
मेरा मन
आज तक
अनगिनत बंधनों में जिया है,
मैंने उन्हें तोड़ दिया है
लेकिन वे कहते हैं -
मैनें ठीक नहीं किया है
क्या आप भी ऐसा ही समझते हैं ?
यकीन मानिए
इन बंधनों में मेरे विचारों के पाँव
बार बार उलझते हैं |
(20-03-1985 )
-0-
कविता हमारी ,
ReplyDeleteसुलगते बारूद की
पहली चिंगारी !
विशेष लगी ये पंक्तियाँ , यही यथार्थ भी है .
सभी बेहतरीन क्षणिकाएं .
बधाई .
bahut khoob sakhi kataksh hai aaj par
Deleteसभी क्षणिकाएं यद्यपि तीन दशक पहली लिखी गई थी लेकिन ये सभी आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।कालजयी रचनाओं की यही खूबी होती है ! ज्योत्स्ना शर्मा जी, इतने उत्कृष्ट सृजन के लिए आपको हार्दिक बधाई !
ReplyDeletejyotsana ji apaki shhnikaye aj ki presthbhumi par khari utar rahi hain sarahniya hain. badhai.
ReplyDeletepushpa mehra.
सभी क्षणिकाएँ बहुत सुंदर! उनके भाव इतने गहरे व अर्थपूर्ण हैं..कि कभी पुराने नहीं होंगे..
ReplyDeleteहार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी!:-)
~सादर!!!
Himanshu ji ,
ReplyDeleteIn kshnikaayon ke liye bhut saaraa aabhaar. Padhkr , aisa laga, ki kisii ne gaagr nmen saagr bhr diyaa ho. Yah hai sachi kavitaa. Sachaaee ka ghr jismen nhin kisii ka dr. Shiam Tripathi
तीक्ष्ण दृष्टि, लोकतन्त्र पर।
ReplyDeleteयकीन मानिए
ReplyDeleteइन बंधनों में मेरे विचारों के पाँव
बार बार उलझते हैं |
इन बंधनों का टूटना ही श्रेयस्कर है । आपके सुंदर विचार बहुत ही खूबसूरती से कविता का नया-नया परिधान (छंद) धारण कर आकर्षित करते हैं।
Bahut gahan bahut 2 badhai...
ReplyDeleteaa Manju Gupta ji ,Subhash Chandra Lakhera ji ,Pushpa Mehra ji , Anita ji ,Shiam Tripathi ji ,Praveen Pandey ji ,Sushila ji evam Dr.Bhawna ji ....आपके सुन्दर प्रेरक कमेंट्स मेरे लेखन की ऊर्जा हैं |आप सभी के प्रति हृदय से आभार !
ReplyDeleteआ काम्बोज भैया जी ने मेरी इस छोटी सी अभिव्यक्ति को यहाँ स्थान दिया... मैं अनुगृहीत हुई | आपके इस स्नेह आशिष की सदा कामना के साथ .......
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
बहुत खूबसूरत...हार्दिक बधाई...|
ReplyDeleteप्रियंका गुप्ता
कविता हमारी ,
ReplyDeleteसुलगते बारूद की
पहली चिंगारी !
सभी क्षणिकाएँ बहुत उम्दा ..बधाई सखी🌹🌹🌹🌹🌹👏👏👏