पथ के साथी

Thursday, February 28, 2013

चन्दन वन- सा मन रहा


डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
दिल को लगती कह गया बातें बीता साल ,
सीख समय से पाठ कुछ ,बनना एक मिसाल ।
बनना एक मिसाल सृजन की हो तैयारी ,
करें अमंगल दूर रहें अरिदल पर भारी ।
सरस ,सुगन्धित वात ,मुदित हो सारी जगती  ,
मन से मन की बात ,करें शुभ दिल को लगती ।।
2
खूब रुपैया बोलता ,दिशि दिशि गूँजे शोर ।
नीति नज़र झुकाय सखी ,बैठ गई इक ओर ।
बैठ गई इक ओर ,विचारे अब कित जाऊँ ,
कौन आसरा ,मान ,जहाँ मैं नित-नित पाऊँ ।
लेंगें हाथों-हाथ ,गुणों को किस दिन भैया ,
मिले न सुख का साथ ,भले हो खूब रुपैया ।।

3
चन्दन वन-सा मन रहा ,महके था दिन रैन,
तृष्णा की विषवल्लरी ,कब लेने दें चैन ।
कब लेने दें चैन ,लगें फल आह व्यथा के ,
रहें न कुछ लवलेश ,सुवासित सरस कथा के ।
करिए कृपा कृपालु ,प्रभासित कर कंचन- सा ,
हो अति मधुर उदार ,चारु चित चन्दन वन-सा ।।

-0-
२७-०१-१३




16 comments:

  1. eak-eak pankti man par asar karti gayi bahut prbhaavpurn kundliyan hain,gahar pakd hai...bahut2 badhai...

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  2. मन चंदन हो गया , बधाई .

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    1. Dr. Bhawna ji , Yashoda agrawal ji evam Manju Gupta ji .. सुन्दर ,प्रेरक उपस्थिति के लिए ह्रदय से आभारी हूँ आपकी ....सदा स्नेह बनाए रखियेगा |
      सादर
      ज्योत्स्ना शर्मा

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  3. बहुत मधुर काव्य ... चन्दन की महक फ़ैल गई हो उपवन में जैसे ...

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  4. बहुत अर्थपूर्ण कुंडलियाँ ! एक से बढ़कर एक..!
    हार्दिक बधाई...ज्योत्सना जी!
    ~सादर!!!

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  5. सुन्दर एवं सारगर्भित कुंडलियाँ | बधाई ज्योत्सना जी |

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  6. ज्योत्सना जी बहुत सुंदर और सार्थक लिखती हैं विधा चाहे कोई भी हो। बधाई !

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  7. बहुत अच्छी रचना...बधाई...|
    प्रियंका

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    1. ज्योत्स्ना शर्मा03 March, 2013 15:16

      ह्रदय से आभार ...प्रियंका जी

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  8. ज्योत्स्ना शर्मा01 March, 2013 17:15

    दिगंबर नासवा जी ,अनिता जी ,Shashi ji evam Sushila ji .....आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया मेरे लेखन को नई ऊर्जा दे गई ...ह्रदय से आभार ...स्नेह बनाए रखियेगा |
    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  9. बहुत भावपूर्ण और अर्थपूर्ण कुण्डलियाँ...

    खूब रुपैया बोलता ,दिशि दिशि गूँजे शोर ।
    नीति नज़र झुकाय सखी ,बैठ गई इक ओर ।

    शुभकामनाएँ.

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  10. अर्थ भरी कुंडलियाँ, बहुत ही सुन्दर

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  11. बहुत ही सुन्दर दोहा रचती है आप. मन मधुमय हो गया.
    धन्यवाद
    KAVYA SUDHA (काव्य सुधा)

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  12. भाई नीरज कुमार जी यह कुण्डलिया छन्द है । इसमें। पहली दो पंक्तियाँ दोहा और बाद की चार पंक्तियाँ रोला छन्द की जुड़ जाती हैं।

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  13. बहुत सुंदर ....

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    1. ज्योत्स्ना शर्मा03 March, 2013 15:20

      डॉ जेन्नी शबनम जी ,प्रवीण पाण्डेय जी ,Neeraj Kumar ji evam Aditi Poonam ji ...आपकी सुन्दर ,प्रेरक प्रतिक्रिया अनमोल निधि है मेरी ...बहुत बहुत आभार |

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