एक सार्थक चित्र
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
छोटे-छोटे हाथ 
कर सकते हैं बहुत कमाल
एक नक्शा बनाकर 
पूरी दुनिया को 
उसमें उतार सकते हैं ।
एक हल्की -सी छुअन 
दो प्रेम -पगे शब्द
किसी  के सोए मन में 
समन्दर पार करने की 
ऊर्जा भर सकते  हैं ।
एक आश्वासन
अपनत्व का महल खड़ा कर देता है
ठीक उसी तरह 
जैसे तुम्हारा सजाया
एक सार्थक चित्र
शब्दों को जुबान दे देता है -
कि वे घुलमिलकर बतियाएँ 
छोटे बच्चों की तरह खिलखिलाएँ 
सारी दुनिया भूलकर
गले लग जाएँ ।
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