1-खुशी पल की:रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
खुशी पल की
भटकी हुई बूँदे
ज्यों बादल की ।
2
आहट आई
आँगन में यादों की
दुबके पाँव ।
3
खुशियाँ न दो
ग़म पीछे छुपे हैं
यहाँ आने को ।
-0-
2-कुछ न माँगूँ :डॉ. हरदीप कौर सन्धु
1
कुछ न माँगूँ
बस पल दो पल
ख़ुशी के सिवा
बस पल दो पल
ख़ुशी के सिवा
2.
कभी ढूँढ़ती
यादों के आँगन में
ख़ुशी अपनी
यादों के आँगन में
ख़ुशी अपनी
3
बिन बुलाए,
ये गम पता नहीं
क्यों चले आए !
ये गम पता नहीं
क्यों चले आए !
-0-
हर खुशी के बाद गम, हर गम के बाद खुशी, यही जीवन का रूप है...
ReplyDeleteखुशियाँ न दो
ग़म पीछे छुपे हैं
यहाँ आने को ।
शुभकामनाएँ.
खुशियाँ न दो
ReplyDeleteग़म पीछे छुपे हैं
यहाँ आने को ।khushi aut gam hmesha sath-sath chlte hain.bahut achchi prastuti.
हिमांशु भाई साहब,
ReplyDeleteआहट आई
आँगन में यादों की
दुबके पाँव ।
-0-
हरदीप जी
बिन बुलाए,
ये गम पता नहीं
क्यों चले आए !....हिमांशु जी और हरदीप जी सारे हाइकु बहूत सुंदर है ....बधाई
ख़ुशी और गम ------एक ही सिक्के के दो पहलू. सुन्दर हाइकु
ReplyDeleteहिमांशु जी, आपके तीनों हाइकु पढ़कर दंग हूँ मैं तो ! ऐसे सशक्त और भावपूर्ण हाइकु ही बचे रह जाएंगे जो दूर तक यात्रा करने की शक्ति रखते हैं। हरदीप जी के हाइकु भी श्रेष्ठ हाइकुओं की श्रेणी में लगे। दोनो को बधाई !
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु
ReplyDeleteहिमांशु जी और हरदीप जी के हाइकू यहाँ कुछ कुछ एक पहलू पर उत्तर प्रतिउत्तर जान पडते हैं.. और दोनों के हाइकू उत्त्कृष्ट हाइकू है.. सादर
ReplyDeleteहिमांशु जी और हरदीप जी जीवन से सरोकार रखते भाव और कला पक्ष से परिपूर्ण उत्कृष्ट हाइकू .बधाई
ReplyDeleteजीवन का शाश्वत सत्य उकेरते बहुत सुन्दर हाइकू....बधाई आपको ...!
Deleteखुशियाँ न दो
ReplyDeleteग़म पीछे छुपे हैं
यहाँ आने को
बिन बुलाए,
ये गम पता नहीं
क्यों चले आए !हिमांशु जी, हरदीप जी बहुत सुन्दर हाइकु..बधाई।
बादल की भटकी हुयी बूँद सी ख़ुशी,,, यादों की आहट दबे पांव... इतनी सुंदर कल्पना .. पढ़कर मुँह से बस वाह ! ही निकलता है...
ReplyDeleteऔर जहाँ तक गमों का सवाल है वो तो सदा बिन बुलाये ही आते हैं.... उन को कहाँ कोई न्योता देने की जरूरत पड़ती है ... लेकिन ख़ुशी और ग़म एक दूसरे के पूरक जैसे हैं... ग़म के बिना ख़ुशी की पहचान भी तो नहीं....
वाह..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत....
उत्तम हायेकु..
सादर.
बेहतरीन, भाव प्रवाह बहाने में सक्षम..
ReplyDeleteउत्कृष्ट हाइकुओं के लिए बधाई!
ReplyDeleteखुशी और ग़म...सदा के साथी...। एक ज़्यादा देर तक अकेला नहीं रह पाता है...। बहुत सुन्दर हाइकु...मेरी बधाई...।
ReplyDeleteप्रियंका
dhoop-chanw liye hai'n sabhi jeewan me...
ReplyDeletesunder prastuti....
कैसे कह दूँ
ReplyDeleteकौन सी बेहतर ?
सब हैं अच्छी .....