एक सार्थक चित्र
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
छोटे-छोटे हाथ
कर सकते हैं बहुत कमाल
एक नक्शा बनाकर
पूरी दुनिया को
उसमें उतार सकते हैं ।
एक हल्की -सी छुअन
दो प्रेम -पगे शब्द
किसी के सोए मन में
समन्दर पार करने की
ऊर्जा भर सकते हैं ।
एक आश्वासन
अपनत्व का महल खड़ा कर देता है
ठीक उसी तरह
जैसे तुम्हारा सजाया
एक सार्थक चित्र
शब्दों को जुबान दे देता है -
कि वे घुलमिलकर बतियाएँ
छोटे बच्चों की तरह खिलखिलाएँ
सारी दुनिया भूलकर
गले लग जाएँ ।
-0-
मानवता का मार्ग दर्शाती ...सुंदर,सहज...सार्थक पंक्तियाँ ....
ReplyDeleteशुभकामनायें.
सच सर....अच्छी कविता है...और भाव बढ़िया....!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव....
ReplyDeleteसादर
अनु
प्रेरक रचना ... बच्चों जैसी मासूमियत हो तो बात ही क्या ॥
ReplyDeleteएक हल्की -सी छुअन
ReplyDeleteदो प्रेम -पगे शब्द
किसी के सोए मन में
समन्दर पार करने की
ऊर्जा भर सकते हैं ।.......उपरोक्त सुंदर प्रस्तुति हेतु आभार..............
छोटे बच्चों की तरह खिलखिलाएँ
ReplyDeleteसारी दुनिया भूलकर
गले लग जाएँ ।sahi kha ....
छोटे बच्चों के लिये क्या सीमायें, क्या संकोच।
ReplyDeleteएक हल्की -सी छुअन
ReplyDeleteदो प्रेम -पगे शब्द
किसी के सोए मन में
समन्दर पार करने की
ऊर्जा भर सकते हैं ।
बहुत सुंदर भाव हैं बहुत सही लिखा है अगर इस सच्चाई को समझ कर जीवन मैं उतर लिया जाये तो संसार मैं व्याप्त सारी नफरतें ख़त्म हो जाये.
बधाई,
सादर,
अमिता कौंडल
सहज सार्थक और प्रेरक रचना...आभार!
ReplyDeleteजैसे तुम्हारा सजाया
ReplyDeleteएक सार्थक चित्र
शब्दों को जुबान दे देता है -
कि वे घुलमिलकर बतियाएँ
छोटे बच्चों की तरह खिलखिलाएँ
बस यही तो नहीं आता हमें बच्चों की तरह खिलखिलाना
शब्दों का सही हों तो जीवन भर की उर्जा दे जाते हैं आपकी लिखी एक एक पंक्ति में सच्चाई है, भाव है .और रस का बहाव है
सादर
रचना
बहुत सुन्दर भाव ।
ReplyDeleteशब्दों को जुबान दे देता है -
कि वे घुलमिलकर बतियाएँ
छोटे बच्चों की तरह खिलखिलाएँ
सारी दुनिया भूलकर
गले लग जाएं ।
बहुत सुन्दर ।
इतने सरल शब्दों में सुन्दर भाव पिरो कर प्रेरणा देने वाली रचना .बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteएक हल्की -सी छुअन
ReplyDeleteदो प्रेम -पगे शब्द
किसी के सोए मन में
समन्दर पार करने की
ऊर्जा भर सकते हैं ।
वाह बहुत हीं सुन्दर...
-वाह, बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteएक से एक सुन्दर भावों भरी पंक्तियां क्या खूब लिखा है...बधाई
ReplyDeleteसादर
कृष्णा वर्मा
अपनत्व के महल में ऐसा अनूठा चित्रण आप ही कर सकते हैं ... एक हल्की -सी छुअन
ReplyDeleteदो प्रेम -पगे शब्द
किसी के सोए मन में
समन्दर पार करने की
ऊर्जा भर सकते हैं ।
एक आश्वासन
अपनत्व का महल खड़ा कर देता है
एक सार्थक चित्र
ReplyDeleteशब्दों को जुबान दे देता है -
कि वे घुलमिलकर बतियाएँ
छोटे बच्चों की तरह खिलखिलाएँ
सारी दुनिया भूलकर
गले लग जाएँ ।
बहुत हि सुन्दर भाव........
एक चित्र जो शब्दो को जुबान दे.... ऐसा कौन कलाकर है जो बना सकता है .... मेरी नजर मे तो एक ही है... ऐसा अनूठा चित्रण आप ही कर सकते हैं
बधाई !
हरदीप
bahut sunder kavita hai Himanshu ji..mujhe apni kavitayen yaad aa gayi
ReplyDeleteनन्हें हाथों में होता ही है ऐसा जादू... कर सकता है ऐसा कमाल. सुन्दर मन पूरी दुनिया को एक चित्र में कर देता है साकार...
ReplyDeleteछोटे-छोटे हाथ
कर सकते हैं बहुत कमाल
एक नक्शा बनाकर
पूरी दुनिया को
उसमें उतार सकते हैं ।
सुन्दर भाव चित्रण के लिए बधाई.
छोटे-छोटे हाथ
ReplyDeleteकर सकते हैं बहुत कमाल
एक नक्शा बनाकर
पूरी दुनिया को
उसमें उतार सकते हैं ।
एक हल्की -सी छुअन
दो प्रेम -पगे शब्द
किसी के सोए मन में
समन्दर पार करने की
ऊर्जा भर सकते हैं
sakaratmak urja se bharpur prerna dayak rachna...
kaha jata hai ki "rachnaon me rachnakar ka vyaktitva jhalakta hai..." apki rachnao par yah kathan purn roop se khara utarta hai... aap swayam jitne sakaratmak vyaktitva ke dhani hain.. vaisi hi apki rachnaye bhi hain.
आप सबका बहुत -बहुत आभार ! आप सबके शब्द हमेशा मुझे ताकत देते हैं।
ReplyDeleteछोटे-छोटे हाथ कर सकते हैं बहुत कमाल
ReplyDeleteसोच सशक्तता से शब्दों में दिखाई देती है और संचारित भी करती है॥
राह रौशन हो आने वालों की
हम चरागों में खून भरते हैं
बहुत ही दाद के साथ
Bahut sundar bhav bahut achchha laga nanhe bhav pqdhkar..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति आपकी ....मासूम भाव नन्हे अक्षरों की पलकें झपका कर कुछ कहते हुए से .....बहुत बधाई...!
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