पथ के साथी

Sunday, October 3, 2010

दो अक्टूबर और बापू

दो अक्टूबर और बापू
 मंजु मिश्रा
बापू ने हमें आज़ादी दी
लेकिन हमने क्या किया
उनका एक एक सपना
सिरे से नकार दिया ।

 सिर्फ दो अक्टूबर को
 एक दिन माला पहनाकर
 उनको याद करने भर से 
 जिम्मेदारी पूरी नहीं होत। ।

सच  में उनको मान देना है तो  
चलो आज कसम खाओ,
उनके मूल्यों को जिन्दा करेंगे
समझेंगे और उन पर चलेंगे 

राजनीति कुर्सी के लिए नहीं
देश हित के लिए करेंगे
अन्याय और भ्रष्टाचार
सहन नहीं करेंगे ।

सत्य और अहिंसा पर
भरोसा करेंगे,
एक दिन में ना सही
पर फल जरूर मिलेंगे ।

जिस दिन हम
ईश्वर और अल्ला को
एक नज़र से देख सकेंगे
उस दिन हम सही मायनों में
बापू के भक्त बनेंगे ।
                  मंजु मिश्रा

8 comments:

  1. गाँधी जी शत शत नमन इसी लिए तो आज का दिन है स्मरणीय है

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  2. सही और सच्ची सोच. गाँधी को जीवित रखना है तो उनके दर्शन को अपनाना होगा.

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  3. Eakdam sach kaha...sundar rachna..badhai

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना...
    जब हमारे ...
    ईश्वर और अल्ला
    एक होंगे...
    हम सब एक होंगे !!

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  6. बिल्कुल सही...

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  7. बहुत ही सुन्दर रचना...
    पूरी तरह सहमत....

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  8. गाँधी जी पर सुन्दर रचना...बधाई.


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    "शब्द-शिखर' पर जयंती पर दुर्गा भाभी का पुनीत स्मरण...

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