ऑस्ट्रेलिया सिडनी से प्रथम बार प्रकाशित हिन्दी पत्रिका "हिन्दी गौरव" का प्रथम अंक २ अक्तूबर को सामने आया, जिसमें काम्बोज जी की लघु कथा "चक्रव्यूह" भी प्रकाशित हुई। हम सब सिडनी के हिन्दी प्रेमियों की ओर से काम्बोज जी को हार्दिक बधाई....
रामेश्वर जी, सबसे पहले हम सब आपका फिर से स्वागत करते हैं ....सिडनी में !! भावना जी का शुक्रिया। रामेश्वर जी की लघुकथा पढ़वाने के लिए । जीवन की सच्ची कथा है ये.... ज़िन्दगी कई बार आदमी को दोराहे पर ले आती है और वह समझ नहीं पाता कि क्या करूँ? कितनी गहरी बात कह डाली आपने !!
कल बाहर था इसलिए इस पोस्ट को नही देख सका! -- आपने बहुत ही उम्दा पोस्ट लगाई है! -- रामेश्वर जी की लघुकथा पढ़वाने के लिए धन्यवाद! -- नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ! -- जय माता जी की!
रामेश्वर जी,
ReplyDeleteसबसे पहले हम सब आपका फिर से स्वागत करते हैं ....सिडनी में !!
भावना जी का शुक्रिया।
रामेश्वर जी की लघुकथा पढ़वाने के लिए ।
जीवन की सच्ची कथा है ये....
ज़िन्दगी कई बार आदमी को दोराहे पर ले आती है और वह समझ नहीं पाता कि क्या करूँ?
कितनी गहरी बात कह डाली आपने !!
कल बाहर था इसलिए इस पोस्ट को नही देख सका!
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आपने बहुत ही उम्दा पोस्ट लगाई है!
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रामेश्वर जी की लघुकथा पढ़वाने के लिए धन्यवाद!
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नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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जय माता जी की!
Respected sir,
ReplyDeleteIs dil ko choo lene wali laghukatha "Chakraviyuh" ke Sydney ki patrika Hindi Gaurav mein prakashit hone par hardic badhai.
From:- T.H.Khan & Mumtaz
अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद. कम्बोज जी वहाँ किस व्यवसाय में हैं.
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई...।
ReplyDeleteखुशकिस्मती है हमारी कि हमें आप सा मार्गदर्शक मिला,
ReplyDeleteजो हाथ में कलम की मशाल लेकर राह दिखाता है।
थककर हारकर बैठ जाएं गर हम तो,
उंगली थामकर मंजिल की ओर बढ़ाता है।