-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
चिड़ियों के जगने से पहले
जग जाती थी मेरी माँ ।
ढिबरी के नीम उजाले में
पढ़ने मुझे बिठाती माँ ।
उसकी चक्की चलती रहती
कोई गीत न गाती माँ ।
गाय दूहना, दही बिलोना
सब कुछ करती जाती माँ ।
सही वक़्त पर बना नाश्ता
जीभर मुझे खिलाती माँ ।
घड़ी नहीं थी कहीं गाँव में
समय का पाठ पढ़ाती माँ ।
छप्पर के घर में रहकर भी
तनकर चलती –फिरती माँ ।
लाग –लपेट से नहीं वास्ता
खरी-खरी कह जाती माँ ।
बड़े अमीर बाप की बेटी
अभाव से टकराती माँ ।
धन –बात का उधार न सीखा
जो कहना कह जाती माँ
अस्सी बरस की इस उम्र ने
कमर झुका दी है माना ।
खाली बैठना रास नहीं
पल भर कब टिक पाती माँ ।
गाँव छोड़ना नहीं सुहाता
शहर में न रह पाती माँ ।
यहाँ न गाएँ ,सानी-पानी
मन कैसे बहलाती माँ ।
कुछ तो बेटे बहुत दूर हैं
कभी-कभी मिल पाती माँ ।
नाती-पोतों में बँटकर के
और बड़ी हो जाती माँ ।
मैं आज भी इतना छोटा
कठिन छूना है परछाई ।
जब –जब माँ माथा छूती है
जगती मुझमें तरुणाई ।
माँ से बड़ा कोई न तीरथ
ऐसा मैंने जाना है ।
माँ के चरणों में न्योछावर
करके ही कुछ पाना है ।
-0-
bahut khoob sir dil choo liya...
ReplyDeleteAtiutam
ReplyDeleteAtiutam
ReplyDeletevaah...ek preranaa geet likha hai aapne. badhai...
ReplyDeleteBahut sundar bhav han aapki rachna ke dil ko chuu gaye bahut2 badhai..
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDeleteआपका सहज साहित्य ब्लॉग और आपकी सकारात्मक सोच बहुत अच्छी लगी लेकिन मेरे ब्लॉग पर आपकी सकारात्मक टिप्पणी तीन बार पेस्ट हो गयी है तो शुक्रिया ,शुक्रिया ,शुक्रिया .
maan to maan hotee hai,
ReplyDeletemaan jagatee haijab duniya sotee hai.
bahut hee sundar kavita.
ਰਾਮੇਸ਼ਵਰ ਜੀ,
ReplyDeleteਤੁਹਾਡੀ ਕਲਮ ਨੂੰ ਸਲਾਮ...
ਸਿਜਦਾ ਕਰਦੀ ਹਾਂ ਸਭ ਮਾਵਾਂ ਨੂੰ ਜਿਨਾਂ ਦੀ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦਾ ਮੁੱਲ ਮੋੜਨ ਲਈ ਅਜੇ ਤੱਕ ਏਸ ਧਰਤੀ ਨੇ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ !!!!
ਹਰ ਸ਼ਬਦ 'ਚ ਮਾਂ ਦੀ ਕੀਤੀ ਹਰ ਪਲ ਕੁਰਬਾਨੀ....ਆਵਦੇ ਘਰ -ਬਾਰ ਲਈ...ਆਵਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ !!!!
घड़ी नहीं थी कहीं गाँव में /समय का पाठ पढ़ाती माँ.....ये बस माँ ही कर सकती है
ReplyDeleteमाँ से बड़ा ना कोई तीरथ ऐसा मैंने जाना है... इससे बड़ा सच और कुछ हो ही नहीं सकता... जिसने माँ के चरणों को ही स्वर्ग मान लिया उसने सब पा लिया
मुझे शब्द नहीं मिल रहे इस खूबसूरत कविता के लिए...। " माँ " एक ऐसा शब्द है , जो भले ही कहने-सुनने में छोटा हो , पर उसकी गहराई और विशालता किसी भी पैमाने से परे है...।
ReplyDeleteमेरी बधाई...।
प्रियंका गुप्ता
बहुत भावपूर्ण कविता.....
ReplyDelete