पथ के साथी

Monday, September 15, 2008

भात का गीत

भात का गीत

काँकर ऊपर काँकरी, मेरी मैया रे जाए

मैं थारै आई पावहणी

जो मेरा रखोगे मान रे ,  मेरी मैया रे जाए

-मान राखैगी तेरी मायड़ी

जिसकी तू लाडो धीयड़ रे

-मायों के राखै न रहै ,

बीरणों की लम्बी पंसाल  रे, , मेरी मैया रे जाए

-जिब हम घर के नित छोटे

जिब क्यूं नी करा था बुहार, , मेरी मैया री जाइ

-इब तुम घर के लखपति

इब हमनै कर्या बुहार रे राम, मेरी मैया रे जाए

फलसे का गाड्डा बेच कै

, मेरी मैया रे जाए ,तौं मेरे मँढ़ा चढ़ आइ रे

-        फलसे का गाड्डा ना बिकै, मेरी मैया री जाइ

फलसे की सोभा जाइ रे राम …।

-        -खूँटे की भुरिया बेच कै मेरी मैया रे जाए

तौं मेरे मँढा चढ़ आवै

-खूँटे की भुरिया ना बिकै

खूंटे की सोभा जाइ रे , मेरी मैया री जाइ

-भावज का हँसला बेचकै

तौं मेरे मँढा चढ़ आवै तौं मेरे मँढा चढ़ आवै

-भावज का हँसला ना बिकै

हँसला तो बहू के बाप का , मेरी मैया री जाइ

…………

1 comment:

  1. बहुत सुंदर गीत ...पढ़कर बचपन याद आ गया इन गीतों को सुनकर ही हम बड़े हुए ..हमारी विरासत है ये गीत ....आदरणीया वीरबाला जी बहुत बहुत शुक्रिया इन सब को सहेजने के लिए

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