भात का गीत
काँकर ऊपर काँकरी, मेरी मैया रे जाए
मैं थारै आई पावहणी
जो मेरा रखोगे मान रे , मेरी मैया रे जाए
-मान राखैगी तेरी मायड़ी
जिसकी तू लाडो धीयड़ रे
-मायों के राखै न रहै ,
बीरणों की लम्बी पंसाल रे, , मेरी मैया रे जाए
-जिब हम घर के नित छोटे
जिब क्यूं नी करा था बुहार, , मेरी मैया री जाइ
-इब तुम घर के लखपति
इब हमनै कर्या बुहार रे राम, मेरी मैया रे जाए
फलसे का गाड्डा बेच कै
, मेरी मैया रे जाए ,तौं मेरे मँढ़ा चढ़ आइ रे
- फलसे का गाड्डा ना बिकै, मेरी मैया री जाइ
फलसे की सोभा जाइ रे राम …।
- -खूँटे की भुरिया बेच कै मेरी मैया रे जाए
तौं मेरे मँढा चढ़ आवै
-खूँटे की भुरिया ना बिकै
खूंटे की सोभा जाइ रे , मेरी मैया री जाइ
-भावज का हँसला बेचकै
तौं मेरे मँढा चढ़ आवै तौं मेरे मँढा चढ़ आवै
-भावज का हँसला ना बिकै
हँसला तो बहू के बाप का , मेरी मैया री जाइ
…………
बहुत सुंदर गीत ...पढ़कर बचपन याद आ गया इन गीतों को सुनकर ही हम बड़े हुए ..हमारी विरासत है ये गीत ....आदरणीया वीरबाला जी बहुत बहुत शुक्रिया इन सब को सहेजने के लिए
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