पथ के साथी

Monday, June 13, 2022

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 रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'


22 comments:

  1. वाह, वाह..अक्षर नही जला करते हैं... बेहतरीन।अभिनन्दन भाई साहब

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ सर ।

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  3. बेहतरीन रचना!....अक्षर वाकई अमर होते है, वे मरा नहीं करते। हार्दिक धन्यवाद आदरणीय एक बार फिर यह पढ़ने को मिली।

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  4. अक्षर नहीं मरा करते हैं बहुत सुंदर भाव लिए बेहतरीन कविता।। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर

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  5. akshar nahi mara karte kya sunder bhav hai bhaiya kamal.
    saader
    Rachana

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  6. बहुत ही सुंदर। शब्द बोल रहे हैं। हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ।

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  7. बहुत ही सुंदर ।

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  8. क्या कहूँ.. 😢देश की स्थिति.. संस्कृति पर आपकी लेखनी निस्सृत शब्द... अत्यंत हृदयस्पर्शी हैं 🙏🌹🌹😢

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  9. अक्षर नहीं मरा करते हैं
    बहुत ही उत्कृष्ट, हृदयस्पर्शी रचना
    हार्दिक बधाई गुरुवर

    सादर

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  10. बहुत ही भावपूर्ण
    सभी रचनाएँ बहुत ही उत्कृष्ट
    शब्द नहीं मिट पाते ... अक्षर नहीं मरा करते ....बहुत ही सही कहा गुरुवर आपने
    आपको नमन एवं बधाई

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  11. आप सभी की टिप्पणियों के लिए हृदय से आभारी हूँ।

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  12. अक्षरशः सत्य! उत्कृष्ट रचनाएँ! आदरणीय भैया जी एवं उनकी लेखनी को नमन!

    ~सादर
    अनिता ललित

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  13. अक्षर नहीं जला करते हैं.......बहुत-बहुत ही सुंदर भैया ।हार्दिक बधाई।

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  14. उत्कृष्ट भावपूर्ण रचनाएँ...हार्दिक बधाई आ. भाईसाहब।

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  15. अक्षर नहीं मरा करते,,, बहुत भावपूर्ण सृजन। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय भाईसाहब जी।
    ---परमजीत कौर 'रीत'

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  16. बहुत ही बढ़िया रचना है भई कम्बोज जी । हार्दिक बधाई। … सविता अग्रवाल”सवि”

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  17. बहुत सुंदर काम्बोज भाई

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  18. मन में बसा हुआ नालंदा लाख मिटाओ मिटा न पाते.... कितना भावपूर्ण कितना सटीक. हर भारतवासी की आत्मा की पीर अक्षरों में पिरो कर संजो दी है आपने....शत शत नमन

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  19. भाई जी आपने इस रचना में वास्तविकता को साकार कर दिया | हृदय पिघल गया | बहुत ही मार्मिक रचना | बहुत सारी बधाई !श्याम हिंदी चेतना

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  20. एक अरसे बाद इतनी सुंदर कविता पढ़ी.....अक्षर नहीं मरा करते हैं। अद्भुत, प्रेरक। मन में विश्वास का संचार करती उत्कृष्ट रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई आदरणीय भैया।
    प्रणाम

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  21. सचमुच अक्षर मरा नहीं करते, हमारे लिखे अक्षर भाव बनकर मन में उग जाते हैं. अद्भुत कविता. हार्दिक बधाई काम्बोज भैया.

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  22. बिलकुल सही बात है...अक्षर तो अमर हैं...| ओजपूर्ण कविताओं के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय काम्बोज जी को

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