मन में बसा हुआ नालंदा लाख मिटाओ मिटा न पाते.... कितना भावपूर्ण कितना सटीक. हर भारतवासी की आत्मा की पीर अक्षरों में पिरो कर संजो दी है आपने....शत शत नमन
एक अरसे बाद इतनी सुंदर कविता पढ़ी.....अक्षर नहीं मरा करते हैं। अद्भुत, प्रेरक। मन में विश्वास का संचार करती उत्कृष्ट रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई आदरणीय भैया। प्रणाम
वाह, वाह..अक्षर नही जला करते हैं... बेहतरीन।अभिनन्दन भाई साहब
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ सर ।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना!....अक्षर वाकई अमर होते है, वे मरा नहीं करते। हार्दिक धन्यवाद आदरणीय एक बार फिर यह पढ़ने को मिली।
ReplyDeleteअक्षर नहीं मरा करते हैं बहुत सुंदर भाव लिए बेहतरीन कविता।। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteakshar nahi mara karte kya sunder bhav hai bhaiya kamal.
ReplyDeletesaader
Rachana
बहुत ही सुंदर। शब्द बोल रहे हैं। हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर ।
ReplyDeleteक्या कहूँ.. 😢देश की स्थिति.. संस्कृति पर आपकी लेखनी निस्सृत शब्द... अत्यंत हृदयस्पर्शी हैं 🙏🌹🌹😢
ReplyDeleteअक्षर नहीं मरा करते हैं
ReplyDeleteबहुत ही उत्कृष्ट, हृदयस्पर्शी रचना
हार्दिक बधाई गुरुवर
सादर
बहुत ही भावपूर्ण
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बहुत ही उत्कृष्ट
शब्द नहीं मिट पाते ... अक्षर नहीं मरा करते ....बहुत ही सही कहा गुरुवर आपने
आपको नमन एवं बधाई
आप सभी की टिप्पणियों के लिए हृदय से आभारी हूँ।
ReplyDeleteअक्षरशः सत्य! उत्कृष्ट रचनाएँ! आदरणीय भैया जी एवं उनकी लेखनी को नमन!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
अक्षर नहीं जला करते हैं.......बहुत-बहुत ही सुंदर भैया ।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteउत्कृष्ट भावपूर्ण रचनाएँ...हार्दिक बधाई आ. भाईसाहब।
ReplyDeleteअक्षर नहीं मरा करते,,, बहुत भावपूर्ण सृजन। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय भाईसाहब जी।
ReplyDelete---परमजीत कौर 'रीत'
बहुत ही बढ़िया रचना है भई कम्बोज जी । हार्दिक बधाई। … सविता अग्रवाल”सवि”
ReplyDeleteबहुत सुंदर काम्बोज भाई
ReplyDeleteमन में बसा हुआ नालंदा लाख मिटाओ मिटा न पाते.... कितना भावपूर्ण कितना सटीक. हर भारतवासी की आत्मा की पीर अक्षरों में पिरो कर संजो दी है आपने....शत शत नमन
ReplyDeleteभाई जी आपने इस रचना में वास्तविकता को साकार कर दिया | हृदय पिघल गया | बहुत ही मार्मिक रचना | बहुत सारी बधाई !श्याम हिंदी चेतना
ReplyDeleteएक अरसे बाद इतनी सुंदर कविता पढ़ी.....अक्षर नहीं मरा करते हैं। अद्भुत, प्रेरक। मन में विश्वास का संचार करती उत्कृष्ट रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई आदरणीय भैया।
ReplyDeleteप्रणाम
सचमुच अक्षर मरा नहीं करते, हमारे लिखे अक्षर भाव बनकर मन में उग जाते हैं. अद्भुत कविता. हार्दिक बधाई काम्बोज भैया.
ReplyDeleteबिलकुल सही बात है...अक्षर तो अमर हैं...| ओजपूर्ण कविताओं के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय काम्बोज जी को
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