पथ के साथी

Tuesday, November 16, 2021

1154-ये जो आधापन है

 

 निधि भार्गव मानवी

1-ये जो आधापन  है

 


ये जो आधापन  है न..

मेरे अंदर, तुम उसे पूरा कर देना ,

ये अधूरापन, भाता नहीं है मुझे,

तुम्हें सोचने के अलावा

कुछ आता भी तो नहीं है मुझे ,,,

 

वो किरणों के बल लपेटे

सूरज- सी आभा लिये

 मचल जाते हो न तुम मुझमें,

यकीन मानो ,बेहद खूबसूरत लगते हो,,,

और, जब कभी मुकम्मल चाँद

बनकर छा जाते हो ..मेरे वजूद पर,

आह्लादित मग्न होकर मैं..

झूमने लग जाती हूँ ....

 

पूर्णता के इस खूबसूरत , अनुपम

एहसास से फिर जीवंत होने लग जाता है

हमारा ये अटूट, पावन रिश्ता!

-0-

2- पता नही चला मुझे

 

धूप- सी  उतर गई पता नहीं चला मुझे!

ज़िन्दगी गुज़र गई  पता नहीं चला मुझे!!

 

ढूँढते  हैं हर तरफ़  चिराग लेके गाँव में,

सादगी किधर गई  पता नहीं चला  मुझे!!

 

झूठ बोलती ज़बान सच की खा रही कसम,

सत्यता  सिहर  गई   पता  नहीं  चला मुझे!!

 

मायके से लौट कर कभी -कभी विचार में,

याद कब पीहर गई   पता नहीं चला मुझे!!

 

जानवर- सा हो गया समाज किस क़दर निधि’,

लोक  लाज  मर   गई   पता  नहीं  चला  मुझे!!

12 comments:

  1. बहुत ही प्यारी कविताएंँ निधि जी।
    ढूँढते हैं हर तरफ़ चिराग लेके गाँव में,
    सादगी किधर गई पता नहीं चला मुझे!
    बहुत सुन्दर भाव समेटे दोनों रचनाएंँ।

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  2. हार्दिक बधाई निधि जी, बहुत सुन्दर भावपूर्ण कवितायें हैं |

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  3. बहुत ही सुन्दर, भावपूर्ण रचना।

    हार्दिक बधाई आदरणीया।

    सादर

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  4. सुन्दर रचना, हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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  5. याद कब पीहर गई पता नहीं चला मुझे!!

    बहुत शानदार।

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  6. बहुत सुंदर कविताएँ।हार्दिक बधाई।

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  7. पहली रचना बहुत प्यारी है. दूसरी रचना भी बहुत भावपूर्ण. बधाई निधि जी.

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  8. दोनों रचनाएँ बहुत ही भावपूर्ण
    तुम्हें सोचने के अलावा / कुछ आता भी तो नहीं है मुझे ,,,- बहुत सुंदर
    हार्दिक बधाईयाँ स्वीकार करें निधि जी

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  9. बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएं,हार्दिक बधाई। परमजीत कौर 'रीत'

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  10. बहुत सुंदर रचनाएँ...हार्दिक बधाई निधि जी।

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  11. निधि जी को उनकी उम्दा रचनाओं के लिए बहुत बधाई

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