पथ के साथी

Monday, January 25, 2021

1045-बीते दिन-2-अभिलाषा!

कृष्णा वर्मा 

 

अम्मा के आँचल में था

ख़ुश बचपन मेरा


चन्दा के घर था

परियों का डेरा

पलकों पर नींदें थीं 

सपनों का फेरा 

बाहों के झूले थे 

काँधे की सवारी 

पीठ का घोड़ा था 

थी मस्ती किलकारी 

छोटी -सी चाहें थीं 

भोली- सी बातें 

तनि रूठ जाते

थे सारे मनाते 

गलियाँ बुलाती थीं

अपना बताती थीं

संगी थे, साथी थे

ख़ुशियों की थाती थी

रूठी अब राहें हैं

अपने पराए हैं

सपने न नींदें हैं

रातें जगाए हैं

दिखावा छलावा है

झूठ चालाकी है

अपनापा क़ब्रों में

प्रेम प्रवासी है

नानी औ दादी अब

बीती कहानी है

बाँचे व्यथा किससे

चहुँ दिश वीरानी है।

-0-

2-अभिलाषा!

डॉ0 सुरंगमा यादव

शब्द-शब्द में ललक
वर्ण-वर्ण कह रहा
भारती की वंदना में
मुझको भी मिले जगह
      बाग में खिले सुमन
      मना रहे ये मन ही मन
      तिरंगे में बँधूँ कभी
       धन्य हो लूँ मैं जरा
            दीप की है आरजू
             सजाऊँ वीर-देहरी
             शौर्य का  बनूँ कभी
             हाँ  प्रत्यक्ष मैं गवाह।

-0-

10 comments:

  1. सार्थक और सुन्दर।
    --
    गणतन्त्र दिवस की पूर्वसंध्या पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

    ReplyDelete
  2. नानी औ दादी अब
    बीती कहानी है
    बाँचे व्यथा किससे
    चहुँ दिश वीरानी है।....अतीत की स्मृतियों में रची बसी सुंदर कविता के लिये कृष्णा वर्मा जी को बधाई वहीं,राष्ट्रीयता के भाव से परिपूर्ण कविता हेतु डॉ. सुरंगमा यादव को बधाई।सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

    ReplyDelete
  3. बाहों के झूले थे

    काँधे की सवारी

    पीठ का घोड़ा था

    थी मस्ती किलकारी
    मन में बसी अतीत की स्मृतियों का सुंदर चित्रण। हार्दिक बधाई कृष्णा वर्मा जी।
    दीप की है आरजू
    सजाऊँ वीर-देहरी
    शौर्य का बनूँ कभी
    हाँ प्रत्यक्ष मैं गवाह। देशप्रेम की भावना से परिपूर्ण सुंदर कविता। बधाई सुरंगमा जी।

    ReplyDelete
  4. कृष्णा जी की सुंदर कविता है माँ के आँचल की छांव और आज के वीरानेपन का सुंदर शब्दों में वर्णन है । सुरंगमा जी की देशप्रेम की सुंदर भावपूर्ण कविता है दोनो रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर रचना। हार्दिक बधाई कृष्णा जी

    ReplyDelete
  6. माँ और मातृभूमि पर सुंदर रचना-बधाई।

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुंदर भावपूर्ण रचनाएँ
    कृष्णा जी एवं सुरंगमा जी सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाइयाँ

    ReplyDelete
  8. Shailja Saksena25 January, 2021 22:34

    कृष्णा जी की कविता अतीत की मिठास से वर्तमान की उदासी और कड़वाहट तक की यात्रा बहुत सजीव शब्दों में कराती है, कृष्णा जी को बहुत बधाई! सुरंगमा जी के शब्द देश-प्रेम की ललक से, बहुत सुंदर भावों से ओत-प्रोत हैं, बहुत बधाई!

    ReplyDelete
  9. बचपन की यादों और देश प्रेम को संजोय सुंदर कविताएँ ,कृष्णा जी और सुरँगमा जी को ढेरों बधाई!

    ReplyDelete
  10. कितनी गहरी बात कही है कृष्णा जी ने -
    अपनापा क़ब्रों में
    प्रेम प्रवासी है

    देश प्रेम पर सुरंगमा जी ने बहुत सुन्दर लिखा है.
    आप दोनों को बधाई.

    ReplyDelete