गुंजन अग्रवाल
हो न कठपुतली न केवल वोट वाला यन्त्र हो।
आदमी हो आदमी सद्भाव इसका मन्त्र हो।
गूंज वन्देमातरं की गूँजती हरपल रहे-
तब सफल सच मायनों में ये दिवस गणतंत्र हो।
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अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन इतना ध्यान रखो।
भारत माँ की आन- बान और सबसे ऊपर शान रखो।
तू- तू मैं- मैं हाथापाई आपस में कर लो जितना-
भारत मे गर रहना तुमको संविधान का मान रखो।
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सहज साहित्य में स्थान देने हेतु सादर आभार भैया 🙏🙏
ReplyDeleteगुंजन जी को सुंदर सृजन के लिए बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सविता जी😊 गणतंत्र दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं💐🇮🇳🙏🇮🇳💐
Deleteबेहतरीन मुक्तक,गुंजन जी को बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीय🙏🇮🇳🙏
Deleteअद्भुत राष्ट्रप्रेम के मुक्तक ।। जय हिंद ।। वंदेमातरम
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय राघव जी 🙏🇮🇳🙏
Deleteराष्ट्रप्रेम दर्शाते उत्तम मुक्तक। बधाई गुंजन जी।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आदरणीया🙏🙏
Deleteबहुत सुंदर सृजन, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीया 🙏
Deleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteसादर आभार आदरणीय
Delete🙏
बहुत सुन्दर मुक्तक, बधाई गुंजन जी.
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका आ.🙏
Deleteसुंदर सृजन। बधाई गुंजन जी।
ReplyDeleteहृदय से आभार आ.🙏😊🙏
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteदेशप्रेम से ओतप्रोत मुक्तक के लिए बहुत बधाई गुंजन जी |
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