1-मै लिखती नहीं 
मंजु मिश्रा ( कैलिफ़ोर्निया)
मै लिखती नहीं
जीती हूँ 
अपने अहसास
!
घूँट घूँट पीती हूँ
अपना आस-पास ...
बूँद भर ख़याल 
छलक छलक कर 
कब नदी बन गये 
पता ही नहीं चला !
और फ़िर
कागज की छाती पर 
दौड़ते भागते 
ये स्याही की नदी, 
कब समंदर
बन गयी
ये भी कहाँ जान पाई मै !
मै तो बस 
अपने आप में गुम
अन्दर ही अन्दर 
तलाशती रही 
अपना वजूद
और रचती रही 
शब्दों के पुल 
जीवन पर करने को 
जो न जाने कब कविता बन गये.......
-0-
2-अब की
डॉ सुषमा गुप्ता
शाम ढले 
पीछे आँगन में बिसरी चारपाई पर
यूँ ही अलसाए गुम थे
अरसे पुराना चाँद उतरा
मेरे घुटने पर ठुड्डी टिकाए बैठ गया ।
पीछे आँगन में बिसरी चारपाई पर
यूँ ही अलसाए गुम थे
अरसे पुराना चाँद उतरा
मेरे घुटने पर ठुड्डी टिकाए बैठ गया ।
आँखें मुस्काईं 
तो चाँद ने चश्मा उतार कर रख दिया मेरे आँचल पर
मैंने झट धुँधली कर ली आँखें अपनी
तो चाँद ने चश्मा उतार कर रख दिया मेरे आँचल पर
मैंने झट धुँधली कर ली आँखें अपनी
कहा..
बेज़ारी का  ख़त बाँचना छोड़ दिया कब का मैंने ...
जाओ महबूब
अब की आओ तो ज़िंदा आँखों के साथ आना ।
-0-जाओ महबूब
अब की आओ तो ज़िंदा आँखों के साथ आना ।
-     3-पूर्वा शर्मा 
आज
चन्द्र भी लजा रहा 
लुक-छिप
के वो रिझा रहा 
प्रियतम
से मिलकर है आया 
तभी तो
उस पल दिख ना पाया 
प्रेम
अगाध वो पाकर आया 
रंग प्रीत
का ऐसा छाया  
श्वेत
वर्ण से हुआ है मुक्त 
रक्तिम
दिखे लाज से युक्त 
पाकर प्रीत
हुआ है पूर्ण 
प्रकट
हुआ है अब सम्पूर्ण । 
-0-रचना(31 जनवरी 2018)
 


 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
प्रिय मंजु , सुषमा और पूर्वा की ताज़ा रचनाओं ने ताज़गी से बर दिया । खूब बधाई लो और अच्छा रचो ।
ReplyDeleteबूँद बूँद ख़यालों की मीठी नदी ....हार्दिक बधाई मंजु
ReplyDeleteशाम ढले ..बेहद ख़ूबसूरत रचना डॉ. सुषमा जी .. खूब बधाई !!
सुन्दर ,सरस सृजन पूर्वा जी .. बहुत-बहुत बधाई !
तीनों रचनाएं बेजोड़.मंजू जी, सुषमा जी और पूर्वा को भेर सारी बधाई ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचनाएँ, हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteतीनों लाजवाब रचनाएँ...आप सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteअादरणीय रामेश्वर जी मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए धन्यवाद ! सुषमा जी के चाँद का घुटने पर ठुड्डी टिका कर बैठना ओर पूर्वा जी के चाँद का लजा कर रिझाना दोनो ही बहुत खूबसूरत हैं, एकदम लाजवाब !! सुन्दर रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर
मंजु
eak se badhkar eak sabhi ko meri hardik badhai...
ReplyDeleteसभी साथी रचानाकारों को मेरी बधाई ।
ReplyDeleteआदरणीय काम्बोज सर मेरी रचना को स्थान दिया आपका हार्दिक आभार ।
तीनों रचनाएं शानदार..👌👌👌👌 आप सभी कलमकारों को हार्दिक बधाई....☺☺
ReplyDeleteबहुत सुंदर तथा मोहक रचनाएँ तीनों ! मंजू जी, सुषमा जी एवं पूर्वा जी...आप तीनों को बहुत-बहुत बधाई!!!
ReplyDelete~सादर
अनिता ललित
सभी रचनाएँ मन मोहक ।मंजु जी ,पूर्वा जी ,सुषमा जी आप तीनों को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteमंजु जी एवं सुषमा जी सुन्दर रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई | चंद्रग्रहण को सकारात्मक दृष्टिकोण से देख सकते हैं, इसी विचार से कविता रची थी | सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteपूर्वा शर्मा
बहुत खूब!! सरस सरल मनभावन!!
ReplyDeleteसुंदर रचनाएँ
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचनाएँ...आप तीनों को हार्दिक बधाई
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