एक पाठक के तौर पर मैंने कुछ पुस्तकों की भूमिकाएँ लिखी हैं। उनके लिंक नीचे दिए गए हैं। आशा करता हूँ कि जब भी समय मिले , ज़रूर पढ़ेंगे ताकि सृजन के समय जो कुछ अच्छा हो
उसे ग्रहण किया जा सके। मेरे ये लेख उबाऊ हो सकते हैं, फिर भी पढ़िएगा-
1
ज़िन्दग़ी यूँ तो—'मंजु मिश्रा की खूबसूरत कविताओं से गुज़रते हुए
2
'मन के कागज पर'-डॉ. कविता भट्ट की बहुआयामी कविताएँ
3
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा के दोहों की सुगन्ध -महकी कस्तूरी
ज़िन्दग़ी यूँ तो—'मंजु मिश्रा की खूबसूरत कविताओं से गुज़रते हुए
2
'मन के कागज पर'-डॉ. कविता भट्ट की बहुआयामी कविताएँ
3
डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा के दोहों की सुगन्ध -महकी कस्तूरी
तीनों ही समीक्षाएँ बेहद सार्थक है | 'गागर में सागर' सदृश्य कम शब्दों में भी बेहद खूबसूरती से अपनी बात कही है आपने |
ReplyDeleteइन समीक्षाओं को पढ़वाने के लिए आभार और ऐसे सूक्ष्म विवेचन के लिए हार्दिक बधाई...|
आपका सृजन हमारी पाठशाला है , हृदय से आभार आदरणीय !
ReplyDeleteमंजु जी, कविता जी ,ज्योत्स्ना जी ,आदरणीय भैया जी आप सबको हार्दिक बधाई ।🙏🙏🙏🙏 जानकारी वर्धक समीक्षाएँ 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹
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