पथ के साथी

Sunday, January 28, 2018

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बसंत        
पुष्पा मेहरा

उतरी ओढ़नी धुंध की
निखरा  रूप धरा का
डाल-डाल पर खिल गईं  कलियाँ
नव जीवन मुस्काया,
रंग मन में भर आया  

फूल–फूल पर किरण नाचती
हवा सुखद मनभावन बहती
राग-रंग से भर कर उड़ती
रंगीं पाखों की टोली ,
प्रेम-रंग में भीगी छतरी
गुलमोहर ने तानी ,
रोम–रोम हरषाया
सखि ! बसंत आया ।

अमलतास ने माँगी हल्दी
पीताम्बर रंग लाया
लो बसंत आया ।

बूट–बाल की झाँझ बज उठी
खेतों ने भी झूम-मल्हार गाया,
तान मदिर भौरों ने छेड़ी
अम्बर भी मुस्काया
मन झूम–झूम हरषाया
लो ! अनंगआया ।

हवा रच रही छंद मधुर
मन धरती का डोला
फूले पलाश की चितवन से
नशा निराला छाया
काम ने मन में राग भर दिया
मन विरही-दहकाया
सखि!बसंत आया ।

आमों की डालों पर
सजे देख बौरों के झूमर
कोकिल विरही कूका,
पा सुगंध भरा झोंका
पात–पात बौराया
देख के,मन हरषाया
सखि!बसंत आया ।

शीत के आँसू पोंछ बसंत
प्रीति की रीति निभाता
फ़गुआ गाता,विरहा गाता
रंगों के डोल बहाता
प्रकृति-नूर रंग लाया
देखो फिर बसंत आया । 
 -0-
Pushpa.mehra @gmail.com


12 comments:

  1. कविता की आंतरिक लय अद्भुत है।

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  2. वाह.. धुंध की अोढऩी, कितनी खूबसूरत कल्पना

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  3. बहुत सुन्दर रचना. बधाई पुष्पा जी.

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  4. बहुत ख़ूबसूरत रचना...पुष्पा जी हार्दिक बधाई।

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  5. बसंत का बहुत सुन्दर चित्रण किया हैं इस कविता में ..
    आदरणीय पुष्पा जी को बहुत -बहुत बधाई !

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  6. बसंत का बहुत सुन्दर चित्रण किया हैं इस कविता में ..
    आदरणीय पुष्पा जी को बहुत -बहुत बधाई !

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  7. पुष्बपा मेहरा जी आपने बसंत आगमन का सुन्दर चित्रण किया है -हवा रच रही छंद मधुर/ मन धरती का डोला । रंगो के डोल बहाता प्रकृति नूर- रंग लाया ।बहुत अच्छी लगी हर पंक्ति ।

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  8. बहुत सुन्दर वासंती छटा ..हार्दिक बधाई दीदी !

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  9. सुन्दर बासंती कविता ,चित्र खींचती छटा ।

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  10. पीताम्बर रंग लाया सखि बसंत आया … बहुत सुन्दर छवि उकेरी वसंत की पुष्पा जी । बसंत आगमन की हार्दिक बधाई ।

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  11. आदरणीया आपने बहुत खूब लिखा।

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  12. आँखों के आगे एक मनोहारी चित्र खिंच गया हो जैसे...बहुत बधाई...|

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