मुक्तक
1-डॉ.कविता भट्ट
चाय की मीठी चुस्कियाँ लेते हुए ज़हर
उगलते हो ।
जब सिन्दूर सरहद पर खड़ा होता है अडिग
पर्वत-सा
तब तुम गद्दारों के लिए कैंडिल
मार्च पर निकलते हो
2
सिसकती सर्द रातों का मेरा सिंगार लौटा
दो।
बूढ़े माँ-पिताजी की वो करुण मनुहार लौटा
दो ॥
मनुज बनकर दानवों की ओ वकालत करने वालों !
मेरे भरतू का बचपन, पिता का दुलार लौटा दो॥
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
यह डोर कौन-सी बाँध रही,अनजाने
नयन तरल होते॥
कुछ रचा विधाता ने ऐसा,दो
तन को मन भी एक मिला।
तेरे आँगन आँधी उठती, मेरे
द्वारे बादल होते॥
2
हम आँसू खारे पी लेंगे।
सब ताप तुम्हारे पी लेंगे
अधरों के पीर भरे दरिया
सारे के सारे पी लेंगे॥
-0-
मेरा सौभाग्य, मुझे भी अपनी रचना के साथ स्थान दिया, आभार, महोदय।
ReplyDeleteमेरा भी सौभाग्य कविता जी कि मुझे अपने साहित्यिक परिवार के साथ जुड़ने का आप सब अवसर प्रदान करते हैं।
Deleteआ.हिमांशु भाई के सुन्दर मुक्तक
ReplyDeleteतुम दूर कभी जब रोते हो,
तभी प्राण बहुत विकल होते।
बधाई भाई जी । प्रिय कविता देश के गद्दारों के प्रति नाराज़गी जतलाती तीव्र अभिव्यक्ति । बधाई कविता के लिये ।
जब सिन्दूर सरहद पर खड़ा होता है अडिग पर्वत-सा
तब तुम गद्दारों के लिए कैंडिल मार्च पर निकलते हो ।
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ReplyDeleteआदरणीय, सम्पादक महोदय के मुक्तक उत्कृष्ट, बधाई।
ReplyDeleteआप दोनों आदरणीय को पढ़ना मेरा सौभाग्य है ।
ReplyDeleteहमेशा की तरह बेहतरीन मुक्तक ।
सादर नमन
तुम दूर कभी जब रोते हो।
ReplyDeleteअंतस झकझोरता ।
कविता जी की कविता हर जवान के परिवार का दर्द समेटे
तुम दूर कभी जब रोते हो।
ReplyDeleteअंतस झकझोरता ।
कविता जी की कविता हर जवान के परिवार का दर्द समेटे
सुन्दर कविताएँ
ReplyDeleteआप दोनों आदरणीय को पढ़ना मेरा सौभाग्य है ।
ReplyDeleteहमेशा की तरह बेहतरीन मुक्तक ।
सादर नमन
सुंदर, उत्कृष्ट मुक्तक। बधाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मुक्तक।
ReplyDeleteकविता जी, भाई काम्बोज जी बहुत बधाई।
सभी मुक्तक अत्यंत उत्कृष्ट एवं भावपूर्ण हैं. कविता जी और काम्बोज भाई को हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteआदरणीय भैया जी प्रिय कविता जी सुंदर सृजन के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत रचनाएँ ....दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteआदरणीय भैया जी ,प्रिय कविता जी ..उत्कृष्ट सृजन के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई !!
ReplyDeleteमन को गहरे तक छू लें, आप दोनों के ऐसे ही मुक्तक हैं...| आदरणीय काम्बोज जी और कविता जी को मेरी ढेरों बधाई...|
ReplyDeleteदोनों रचनाएँ अप्रतिम ।
ReplyDeleteशब्दातीत
बधाई कविताजी
बधाई भैया
तेरे आँगन आंधी उठती मेरे द्वारे बदल होते
पावन प्रेम की अनुभूति