पथ के साथी

Sunday, October 22, 2017

770

मुक्तक
 1-डॉ.कविता भट्ट
1
बर्फीली कंच रातों में, जब लिहाफों में मचलते हो ।
चाय की मीठी चुस्कियाँ लेते हुए ज़हर उगलते हो ।
जब सिन्दूर सरहद पर खड़ा होता है अडिग पर्वत-सा 
तब तुम गद्दारों के लिए कैंडिल मार्च  पर निकलते हो
2
सिसकती सर्द रातों का मेरा सिंगार लौटा दो।
बूढ़े माँ-पिताजी की वो करुण मनुहार लौटा दो ॥
मनुज बनकर दानवों की ओ  वकालत करने वालों !
मेरे भरतू का बचपन, पिता का दुलार लौटा दो॥
-0-
2-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
तुम दूर कभी जब रोते हो, तभी प्राण बहुत विकल होते।
यह डोर कौन-सी बाँध रही,अनजाने नयन तरल होते॥
कुछ रचा विधाता ने ऐसा,दो तन को मन भी एक मिला।
तेरे आँगन आँधी उठती, मेरे द्वारे बादल होते॥
2
हम आँसू खारे पी लेंगे।
सब ताप तुम्हारे पी लेंगे
अधरों के पीर भरे दरिया
सारे के सारे पी लेंगे॥

-0-

18 comments:

  1. मेरा सौभाग्य, मुझे भी अपनी रचना के साथ स्थान दिया, आभार, महोदय।

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    1. मेरा भी सौभाग्य कविता जी कि मुझे अपने साहित्यिक परिवार के साथ जुड़ने का आप सब अवसर प्रदान करते हैं।

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  2. आ.हिमांशु भाई के सुन्दर मुक्तक
    तुम दूर कभी जब रोते हो,
    तभी प्राण बहुत विकल होते।
    बधाई भाई जी । प्रिय कविता देश के गद्दारों के प्रति नाराज़गी जतलाती तीव्र अभिव्यक्ति । बधाई कविता के लिये ।

    जब सिन्दूर सरहद पर खड़ा होता है अडिग पर्वत-सा
    तब तुम गद्दारों के लिए कैंडिल मार्च पर निकलते हो ।

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  4. आदरणीय, सम्पादक महोदय के मुक्तक उत्कृष्ट, बधाई।

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  5. आप दोनों आदरणीय को पढ़ना मेरा सौभाग्य है ।
    हमेशा की तरह बेहतरीन मुक्तक ।
    सादर नमन

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  6. तुम दूर कभी जब रोते हो।
    अंतस झकझोरता ।
    कविता जी की कविता हर जवान के परिवार का दर्द समेटे

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  7. तुम दूर कभी जब रोते हो।
    अंतस झकझोरता ।
    कविता जी की कविता हर जवान के परिवार का दर्द समेटे

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  8. सुन्दर कविताएँ

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  9. आप दोनों आदरणीय को पढ़ना मेरा सौभाग्य है ।
    हमेशा की तरह बेहतरीन मुक्तक ।
    सादर नमन

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  10. सुंदर, उत्कृष्ट मुक्तक। बधाई

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  11. बहुत बढ़िया मुक्तक।
    कविता जी, भाई काम्बोज जी बहुत बधाई।

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  12. सभी मुक्तक अत्यंत उत्कृष्ट एवं भावपूर्ण हैं. कविता जी और काम्बोज भाई को हार्दिक बधाई.

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  13. आदरणीय भैया जी प्रिय कविता जी सुंदर सृजन के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई ।

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  14. बेहद ख़ूबसूरत रचनाएँ ....दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!

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  15. आदरणीय भैया जी ,प्रिय कविता जी ..उत्कृष्ट सृजन के लिए आप दोनों को हार्दिक बधाई !!

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  16. मन को गहरे तक छू लें, आप दोनों के ऐसे ही मुक्तक हैं...| आदरणीय काम्बोज जी और कविता जी को मेरी ढेरों बधाई...|

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  17. दोनों रचनाएँ अप्रतिम ।
    शब्दातीत
    बधाई कविताजी
    बधाई भैया
    तेरे आँगन आंधी उठती मेरे द्वारे बदल होते
    पावन प्रेम की अनुभूति

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