1-दीप
जलाएँ
मंगल यादव
मंगल यादव |
आओ दीप जलाएँ
मधुर, अंकुर, कलियों में तेज भरा
गीत भौरे गुन-गुनाएँ
आओ दीप जलाएँ
चारो तरफ उजाला है
फिर भी दिल काला है
कितनी सदियां और लगेंगी
प्रेम मधुर गुल खिलने में
आखिर क्यों घर में धुँआँ जलाएँ
आओ दीप जलाएँ
प्यार के बदले मिलेगा फूल
नफरत में काँटे- काँटे हैं
अच्छी जिंदगी क्यों गवाएँ
आओ दीप जलाएँ
सब समान हैं ईश की नजरों में
क्यों निंदा- भेदभाव करते हो
ईर्ष्या, द्वेष , गर्व के पटाखे फोड़े
हँसते-हँसते गीत गाएँ
आओ दीप जलाएँ
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मूल रूप से जौनपुर, उत्तर प्रदेश का रहने
वाला हूं। मै इस समय राजस्थान पत्रिका, नोएडा में काम कर रहा
हूँ। पत्रकारिता मेरा
शौक है। बचपन से लिखने की आदत रही है। समय मिलने पर कुछ न कुछ ज़रूर लिख लेता हूं ।माँ सरस्वती की कृपा से
अभी तक दो खण्ड काव्य समेत कई व्यंग्य और निबंध लिख चुका हूँ।
Rajsthan Patrika, News Producer
+91 9540410887
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2-दीप
रेनू सिंह
1
नए संकल्प
नई ताज़गी और
उमड़ी है नई तरंग
जब रोशन हुआ आँगन
मन में जगी उमंग ।
नए संकल्प
नई ताज़गी और
उमड़ी है नई तरंग
जब रोशन हुआ आँगन
मन में जगी उमंग ।
2.
अपनों की ख़ुशी
कहीं जो खो गई थी
वक़्त के साथ
मिल गई फिर हमें
रोशनी में साफ-साफ
जब मिले सबके हाथ।
अपनों की ख़ुशी
कहीं जो खो गई थी
वक़्त के साथ
मिल गई फिर हमें
रोशनी में साफ-साफ
जब मिले सबके हाथ।
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टूण्डला(फ़िरोज़ाबाद)
टूण्डला(फ़िरोज़ाबाद)
-0-
3-खामोशी
प्रियंका गुप्ता
चलो,
कुछ देर खामोश बैठते
हैं
और सुनते हैं
हमारे दिलों की
धड़कनों को;
या फिर
दूर से आती किसी
ट्रेन की
सीटी की गूँज
और उसके साथ
अपने पाँव के नीचे
हल्के से थरथराती
ज़मीन का कम्पन;
सुनना हो तो सुनो
घर के पिछवाड़े बने
उस छोटे से बगीचे के
एक अनदेखे कोने में
छिपे
झींगुरों का संगीत;
और अगर कुछ देर फुरसत
हो
तो सुन सकते हो
नदियों को गुनगुनाते
हुए;
तुम जब चाहो तब
सुन सकते हो इनमें से
कुछ भी
अपनी पसंद के हिसाब
से
पर कभी कोशिश करना
अपनी पूरी ताकत लगा
के सुनने की
मेरी अबोली अनगिनत
आवाज़ें...।
-0-
4-दीवाली गीत
ज्योत जलाई जो यादों की दिल में
उससे ही जीवन सजाये रखूँगी,
फिर ना अंधेरा कोई घर बनाए
आस का दीपक जलाए रखूँगी ।।
आँधी-तूफान का डर नहीं पालूँ
सारी बलाओं को हिम्मत से टालूँ
नेह का दीपक अनुराग की बाती
निष्ठा का घी जिसमें हरपल डालूँ
गम की घनघोर घटाएँ जो छाएँ
आंचल से दीप छुपाए रखूँगी...
फिर ना अंधेरा कोई घर बनाए
आस का दीपक जलाए रखूँगी ।।
ज्योत जलाई जो यादों की दिल में
उससे ही जीवन सजाए रखूँगी ।।
-0-
परिचय
आरती आलोक वर्मा
शिक्षा --स्नातकोत्तर- भूगोल
पेशा--गृहिणी,
शौक---लेखन, चित्रकारी,
सम्प्रति -विभिन्न पत्र पत्रिकओं में लेखन,प्रकाशन
आकशवाणी में कविताओं का प्रसारण
सम्पर्क: आरती वर्मा,
W/o श्री आलोक कुमार वर्मा,C/o ऊं जगदीश भवन
पता --आनंद नगर, सिवान 841226
9835213697-7277806541
आरती आलोक वर्मा
शिक्षा --स्नातकोत्तर- भूगोल
पेशा--गृहिणी,
शौक---लेखन, चित्रकारी,
सम्प्रति -विभिन्न पत्र पत्रिकओं में लेखन,प्रकाशन
आकशवाणी में कविताओं का प्रसारण
सम्पर्क: आरती वर्मा,
W/o श्री आलोक कुमार वर्मा,C/o ऊं जगदीश भवन
पता --आनंद नगर, सिवान 841226
9835213697-7277806541
artiverma1121@gmail.com
सुंदर
ReplyDeleteSabhi ko dipavali ki hardik shubhkamnayen,sabhi rachnayen bhavpurn hardik badhai..
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बहुत सुंदर...आप सभी को दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteआप सभी को मेरी तरफ से भी दीवाली की बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteसभी रचनाएँ बहुत सुंदर सार्थक ..आप सबको दीपावली पर्व की हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteसभी रचनाकारों की बहुत सार्थक सुन्दर रचनायें । बधाई एवं दिवाली की हार्दिक मंगलकामनाएं ।
ReplyDeleteसुंदर रचनाएँ रचनाकारों को बधाई |
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
मंगल यादव जी, रेनू सिंह जी, प्रियंका जी, आरती आलोक वर्मा जी सुंदर रचनाएँ
ReplyDeleteआप सभी का आभार...|
ReplyDeleteमंगल जी. रेनू जी और आरती जी को उनकी खूबसूरत रचनाओं के लिए बहुत बधाई...|