पथ के साथी

Tuesday, November 22, 2016

689



दोहावली
1-शशि पाधा
1
धूप तिजोरी बंद थी,चाबी सूरज हाथ
दोपहरी की नींद में,शीत लगाए घात
 2
अंग-अंग ठिठुरन लगी,काँपे तरुवर-नीड़
पंछी ढूँढें धूप को,उड़ते बाँधे धीर
 3
घर-घर में बँटने लगे,गुड़ तिल मेवे थाल
शाल दुशाले पूछते,इक दूजे का हाल
 4
लौटेगा किस रोज ये ,घर अपने दिनमान
पश्चिम का जादू बुरा,ठगा गया अनजान
 5
जड़वत्  पर्वत हैं  खड़े,हिम चादर  हर छोर ।
सखी सहेली धूप का,चलता ना अब जोर
 6
दिन बीते नभ देखते,रातें नीरव मौन
सूरज का संदेश ले,गा घर कौन
-0-
 2-अनिता मण्डा
1
मानवता के खून से, नित्य भरा अखबार।
हर पन्ने पर क्यूँ छपा, रिश्तों का व्यापार।।
2
मौन बने संवाद जब, मुँह खोले फिर कौन।
कहा हुआ सब मौन है, सुना हुआ सब मौन।।
3
आदर्शों की राख मल, बन बैठे सब सिद्ध।
गोश्त फँसा है दाढ़ में, देश गटकते गिद्ध।।
4
गजरे की भीनी महक़, प्रेम गीत के बंद।
प्रीत चाँदनी पर लिखे, उजले -उजले छंद।।
5
शब्दों के क्या दाँत थे, बोल गहैं काट।
कोशिश सारी उम्र की, सके न दूरी पाट।।
6
मीठे सुर देने लगा, एक खोखला बाँस।
पाई अधरों की छुअन,हुई सुरीली साँस।।
-0-
3-सुनीता काम्बोज 
1
भाई भाई कर रहे ,आपस में तकरार ।
याद किसी को भी नही , राम भरत का प्यार ।।
2
अपने मुख से जो करे , अपना ही गुणगान ।
अंदर से है खोखला , समझो वो इंसान ।।
3
नदी किनारे तोती ,आता है तूफ़ान ।
नारी नदिया एक सी, मर्यादा पहचान ।।
4
ढल जाएगा एक दिन ,रंग और ये रूप ।
शाम हुई छिपने लगी ,उजली उजली धूप ।।
5
सबको जग में चाहिए , मान और सम्मान ।
अमृत ही सब चाहते  ,कौन करे विषपान ।।
6
मौन कभी रहकर करो, जिह्वा का उपवास ।
चरना अब तो छोड़ दो, ये निंदा की घास ।।
-0-
4- डॉ सरस्वती माथुर 
1
शब्दों को माँ शारदे, तुम करना साकार,
देना मुझको प्रेरणा , होगा ये उपकार ।
2
रचनाएँ रचकर करूँ, माँ तेरा गुणगान
अपने लेखन पर करूँ ,कभी न मैं अभिमान ।
3
बेटी घर की शान है, मत मानो मेहमान ।
दो परिवारोँ बीच मेँ, होती सेतु समान॥
4
मन में दौलत प्रीत की, होती है अनमोल
साधु संत कहते तभी, मन की गठरी खोल।
5
 भारत न्यारा देश है, सब को इस से प्यार ।
धरती के इस दीप से, रौशन है संसार।
6
साजन की बरजोरियां, प्रीत-प्रेम के रंग 
भीग रही हैं गोरियां, नैना बान-अनंग ।
-0-
5-श्वेता राय
1
नयनों से संवाद में, होता ऐसा हाल
पंख लगा के मन उड़े, बिगड़े पग की चाल
2
अधर चढ़ा इक मौन हो, आँखे हों वाचाल
समझो बंधन तोड़ के, मन ने बदली चाल
।।
3
यादें उनकी मल रहीं, मुझको रंग गुलाल
बातें जिनकी सुन खिले, बगिया टेशू लाल
।।
4
धन धन धन की चाह में, भूले राग विहाग
प्रेम रतन धन यदि मिले, जीवन गा फाग
।।
5
सूख रही मन की धरा, व्याकुल होते प्राण
आके प्रिय अब शीघ्र ही, बिखराओ मुस्कान
।।
6
प्रिये! तुम्हारे दरस से, हिय उठ रही  तरंग
जीवन में अब छा गए, इन्द्रधनुष  के  रंग
।।
-0-विज्ञान अध्यापिका,देवरिया,उत्तर प्रदेश-274001
-0-
6-डॉ.पूर्णिमा राय
1
 भोर सुहानी हो गई,मन के पट तू खोल।
फैला स्वर्णिम नूर है, मिश्री सा रस घोल।।
2
छोटी-छोटी बात का ,सभी करें संज्ञान।
सदाचार ताबीज़ से ,नें सभी विद्वान।।
3
बूढ़ा पीपल कह रहा,सुन लो मेरी बात।
ईश समझकर पूजना,तुम सब अपना तात।।
4
औरों का सुख देखकर, रोते रहते लोग।
बेमतलब चिन्ता करें, पाएँ अनगिन रोग।।
5
भेंट हवन में जो करें, जीवन भर के पाप।
मीरां जैसी लग्न हो ,कृष्ण हरें संताप।।
6
आँखें प्रिय की हैंहै कहें, मन के नाजुक भाव।
चार दिवस की जिन्दगी,रखना सदा लगाव।।
-0-
7-शशि पुरवार  , पुणे महाराष्ट्र 
1
भोर स्वप्न वह देखकर, भोरी हुई विभोर
फूलों का मकरंद पी , भौरा है चितचोर
2
भोर सुहानी आ गई ,लिये टमाटर लाल
धरती रक्तिम हो गयी ,देख गुलाबी थाल।
3
घिरा हुआ है मेघ से ,सूरज का रंग - रूप
रही स्वर्ण किरणें मचल, कैसे बिखरे धूप
4
बिन माँगे खुशियाँ सभी, आएँगी घर द्वार
लुटती माया,सुख नहीं, दुख के दिन है चार .
5
उपजे माटी से यहाँ, जग के सारे लाल
मोल न माटी का करे, दिल में यही मलाल।
6
सबसे कहे पुकार के, यह वसुधा दिन रात
जितनी कम वन सम्पदा , उतनी कम बरसात
-0-
8-मंजू गुप्ता 
1
शुभकर पूनम -  चाँदनीं, बरसे मन के द्वार
प्रेम बढ़ाने आ गया , रक्षा का त्योहार
2
 रँगतीं स्नेहिल राखियाँ  , दिल  का रेगिस्तान .
 है हर तार विशेष जो  , बाँधे हिन्दुस्तान
3
नेह तार ही बहन का  , भाई को उपहार
इससे बढ़कर कुछ नहीं , फीका हीरक हार
4
राखी पावन प्रेम की , वादे  - रस्म  अटूट
 बंधन  है यह नेह का   , कहीं   न जाए  टूट 
-0-
9-कमला घटाऔरा
1
अमन शांति की चाह यदि , कर सब का सत्कार ।
दु:ख सुख में साथी बनों , बाँटो सब में प्यार ।
2
साथी जब हो नाम के , बँधे नहीं विश्वास ।
छल कपट जिसने किया ,रहो न उनके पास ।
-0-

22 comments:

  1. वाह! एक से बढ़ कर एक मनभावन दोहे। आप सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  2. शशि जी..इक दूजे का हाल...वाहहह खूबसूरत

    ReplyDelete
  3. अनिता जी...दूरी सके न पाट....उम्दा यथार्थ...वाहहह

    ReplyDelete
  4. आ.सुनीता जी...ये निंदा की घास...क्या बात...सुंदर

    ReplyDelete
  5. डॉ.सरस्वती जी ..नैना बाण अनंग...बहुत खूब....बधाई

    ReplyDelete
  6. श्वेता जी ..इन्द्रधनुष के रंग....खूबसूरत...

    ReplyDelete
  7. शशि जी...कैसे बिखरे धूप..चिंतन योग्य सृजन...

    ReplyDelete
  8. मंजू जी ...फीका हीरक हार...उम्दा

    ReplyDelete
  9. कमला जी सुंदर भाव

    ReplyDelete
  10. मेरे दोहों को स्थान देने हेतु आ.रामेश्वर सर जी हार्दिक आभार..

    ReplyDelete
  11. सहज साहित्य के दोहा अंक में एक से बढकर एक दोहे पढ़ने और दोहा समझने को मिले सभी रचनाकारों के दोहे अति उतम हैं । विशेष कर - अंग अँग ठिठुरन लगे... सर्दी का सुन्दर चित्र है ।अन्य भी कम प्रभाव शाली नहीं ।सबने अपनी रचना कला का सुन्दर नमूना पेश किया ।बहुत कुछ सीखने को मिला ।सबको हार्दिक बधाई ।कम्बोज जी आप का बहुत बहुत धन्यबाद आभार मेरे प्रथम प्रयास के दोहे को भी मान दिया ।

    ReplyDelete
  12. बेहद सुन्दर दोहों के लिए हार्दिक बधाई पूर्णिमा जी

    ReplyDelete
  13. वाह!! आनन्द की वर्षा, सभी के एक से बढ़कर एक दोहे।
    आभार मुझे इतनी उम्दा रचनाओं के बीच स्थान देने व उत्साह बढ़ाने के लिए।

    ReplyDelete
  14. विविध विषय किन्तु एक ही रूप में बंधे इतने सुंदर दोहे पढ़ कर आनन्द आ गया | धन्यवाद भैया इस उत्सव के लिए | सभी को बधाई |

    सादर,
    शशि पाधा

    ReplyDelete
  15. वाह सभी रचनाकारों ने एक से बढ़कर एक्र रचना की है सच में प्रेरणा मिली दोहे लिखने की |भाई कम्बोज जी इसी तरह हम सबको प्रोत्साहित करते रहिये और नयी नयी विधाओं में लिखने के अवसर प्रदान करते रहिये |सभी को हार्दिक बधाई |

    ReplyDelete
  16. सभी दोहे अर्थपूर्ण और मनभावन सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ..प्रतिक्रिया के लिए आप सब का ह्रदय से आभार व्यक्त करती हूँ ..आदरणीय भैया जी सादर धन्यवाद

    ReplyDelete
  17. एक साथ इतने सुन्दर दोहे , सभी के दोहों ने मन मोह लिया । हार्दिक बधाई > डॉ सतीशराज पुष्करणा

    ReplyDelete
  18. बहुत सुंदर दोहे ! जीवन के कई रंग एक साथ !
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई!!!

    ~सादर
    अनिता ललित

    ReplyDelete
  19. शानदार पोस्ट …. sundar prastuti … Thanks for sharing this!! �� ��

    ReplyDelete
  20. अनुपम दोहावली !!सुन्दर भावों को बहुत सुन्दर ढंग से दोहों में बांधा है !!!
    सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई !!!!

    ReplyDelete
  21. विभिन्न विषयों पर सभी के इतने मनभावन दोहे पढ़ कर आनंद आ गया...| आप सभी को बहुत बहुत बधाई...|

    ReplyDelete
  22. एक से बढकर एक दोहे .सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई !!!!
    ...

    ReplyDelete