ज़िंदगी मुस्काएगी-डॉ
योगेन्द्र नाथ शर्मा 'अरुण'
ज़िन्दगी उलझाओगे तो,बस उलझती जाएगी!
मुस्कुराओगे अगर तुम,ये ज़िंदगी मुस्काएगी!!
मुस्कुराओगे अगर तुम,ये ज़िंदगी मुस्काएगी!!
मुश्किलें
आएँगी हरदम,बस जूझना होगा तुम्हे,
जितना मुश्किल से डरोगे,उतना ही ये डराएगी!!
जितना मुश्किल से डरोगे,उतना ही ये डराएगी!!
मंजिल स्वयं आती नहीं,ये खूब रखना याद तुम,
जब पाँव चलते जाएँगे,मंजिल स्वयं आ जाएगी!!
जब पाँव चलते जाएँगे,मंजिल स्वयं आ जाएगी!!
जिस ने भी डर के छोड़ दी है, डोर आशा की यहाँ,
कोई दवा उसको कभी, जीवित नहीं कर पाएगी!!
कोई दवा उसको कभी, जीवित नहीं कर पाएगी!!
पाँव से विकलांग है गर, तो दोष तेरा
है कहाँ?,
साहस जुटाले दिल में तू,मंजिल तेरी मिल जाएगी!!
साहस जुटाले दिल में तू,मंजिल तेरी मिल जाएगी!!
सब को ही जाना है एक दिन, कौन रहता है यहाँ?
उपकार कर लेगा अगर, तो याद जग को आएगी!!
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उपकार कर लेगा अगर, तो याद जग को आएगी!!
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डॉ योगेन्द्र नाथ शर्मा "अरुण"
पूर्व प्राचार्य,
74/3, न्यू नेहरु नगर,
रूडकी-247667
जिन्दगी प्रेरणात्मक संदेश देती सशक्त रचना .
ReplyDeleteयोगेन्द्र जी सशक्त रचना है हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर रचना ,,बधाई आपको
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना...योगेन्द्र जी बधाई!
ReplyDeleteसशक्त एवम प्रेरक गज़ल.बधाई
ReplyDeleteप्रेरणादायी रचना बधाई।
ReplyDeleteप्रेरणादायी कविता| बधाई
ReplyDeleteपुष्पा मेहरा
प्रेरणा दायक एवं उत्साह वर्द्धक रचना है -मंजिल स्वयं आती नहीं ,... बहुत सशक्त बात कही , जब पाँव चलते जायेंगे ,मंजिल स्वयं आ जायेगी । हर पंक्ति प्रेरक है बधाई योगेन्द्र जी ।
ReplyDeleteबहुत प्रेरणादायक रचना।
ReplyDeleteबहुत प्रेरणादायक रचना।
ReplyDeleteमुश्किलें आएँगी हरदम,बस जूझना होगा तुम्हे,
ReplyDeleteजितना मुश्किल से डरोगे,उतना ही ये डराएगी!!
बहुत सार्थक और प्यारी रचना...| बहुत बधाई...|