कमला निखुर्पा
साँवली
रात जागती रही
तारों के साथ ।
बादलों का तकिया
लगा
ऊँघता
रहा चाँद ।
यादों की ओस
झरती रही बूँद-
बूँद
पलकों से रात भर
भीगता रहा सपना ।
झुलाती रही हवा
पवन हिंडोला
झूमी रात रानी
टूटी बिखर गई
पर फिजाँ महका गई ।
अभी -अभी
तो झपकी थी
बोझल -सी
अँखियाँ
कच्ची नींद से
भोर ने जगाया तो,
कुनमुनाई,रूठीं, रो पड़ी ।
-0-
( प्राचार्या, केन्द्रीय विद्यालय नं 2 , कृभको सूरत)
07.08.2015
सुंदर सुकोमल कविता बहुत अच्छी लगी।बधाई।
ReplyDeleteअभी -अभी तो झपकी थी
ReplyDeleteबोझल -सी अँखियाँ
कच्ची नींद से
भोर ने जगाया तो,
कुनमुनाई,रूठीं, रो पड़ी ।
RAAT BELAA KAA MAARMIK CHITARN . BADHAI .
सुन्दर सुकोमल कविता मन को हर्षा गई ।कितना मनमोहक लिखती हैं कमला निखुर्पा जी।... झूमी रात रानी / टूटी बिखर गई/ पर फिजाँ महका गई ।बहुत खूब वधाई बहुत बहुत।
ReplyDeleteबहुत प्यारी कविता. यादों की ओस पलकों से झरती रही और सपना भीगता रहा … बहुत सुन्दर चित्रण। कमला जी को बधाई.
ReplyDeletejhoomi rat rani \ tooti bikhar gayi \par fijaan mahaka gayi tatha abhi -abhi to jhapaki thi , bojhal si ankhiyan ....... badali -bhari rat vo bhi yadon se bhari ...bahut sunder bhav- chitran.badhai kamla ji.
ReplyDeletepushpa mehra.
रात्रि बेला का सुन्दर मनमोहक चित्रण ..सुन्दर शब्द संयोजन ...बधाई
ReplyDeleteसुकांत रचना! रात का बहुत खूबसूरत चित्रण....बधाई कमला जी।
ReplyDeleteअनुपम प्रस्तुति ...कोमल कान्त शब्दों में मेघ ,चाँद , तारे संग लिए जागती रजनी का बहुत ही सुन्दर चित्रण !
ReplyDeleteकच्ची नींद से
भोर ने जगाया तो,
कुनमुनाई,रूठीं, रो पड़ी ।...अब ये तो होना ही था ...बहुत सुन्दर !
हार्दिक बधाई कमला जी !!
masum si lagi aaapki rachna komal si payari hardik badhai...
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी, कोमल भाव लिए कविता !
ReplyDeleteयादों की ओस
झरती रही बूँद- बूँद
पलकों से रात भर
भीगता रहा सपना । -बहुत सुंदर पंक्तियाँ!
हार्दिक बधाई कमला जी!
~सादर
अनिता ललित
आप सभी का बहुत आभार |
ReplyDeleteअभी -अभी तो झपकी थी
ReplyDeleteबोझल -सी अँखियाँ
कच्ची नींद से
भोर ने जगाया तो,
कुनमुनाई,रूठीं, रो पड़ी ।
एक मासूम सी...भावपूर्ण रचना...हार्दिक बधाई...|