डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
चिड़ियों की बस्ती है तुझमें
रचता मेरा घर,
अरे बाँस के झुरमुट आया
कितने गुन लेकर ।
झूम-झूम के तुझे खिलाए
पवन झकोरे खूब
संगी-साथी आम ,
नीम सब
और नन्ही -सी दूब
सबके संग हिल-मिलके गाता
गीत बड़े सुखकर !
बचपन की नर्मी है तुझमें
होता कभी कठोर,
जन्म झुलाए , मरण ले चले
तू मरघट की ओर
औरों के हित झुकता -मुड़ता
रहा कभी तनकर !
डलिया,कुर्सी ,मेज़ ,चटाई
रूप कई धरता
कान्हा के अधरों पर सजता
मधुर-मधुर बजता
बिन तेरे कच्ची है कुटिया
और पोला छप्पर !
अरे बाँस के झुरमुट आया
कितने गुन लेकर !
-0-
(04-06-2015)
(चित्र : गूगल से साभार)
वाह! बाँस के तो कितने सारे गुण! :-)
ReplyDeleteबहुत ही प्यारा नवगीत सखी !
बहुत-बहुत बधाई आपको!
सादर/सस्नेह
अनिता ललित
ह्रदय प्रफुल्लित हुआ पढ़कर !!बहुत सुंदर नवगीत |ज्योत्सना जी बधाई एवं शुभकामनायें !!
ReplyDeleteबाँस की महिमा गाता बहुत खूबसूरत नवगीत ज्योत्स्ना जी.....बहुत बधाई!
ReplyDeleteBahut achhi lagi aapki rachna gunon se bhari... Hardik badhai...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर नवगीत !
ReplyDeleteज्योत्स्ना शर्मा जी अभिनन्दन!
hruday se aabhaar Anita ji , Bhawna ji ..bahut prerak hai aapake madhur vachan ...dil se shukriyaa .. :)
ReplyDeleteyahan sthan dene ke liye bahut bahut aabhaar bhaiyaa ji !
saadar
jyotsna sharma
वाह बहुत खूब ज्योत्सनाजी
ReplyDeleteझूम-झूम के तुझे खिलाए
पवन झकोरे खूब
संगी-साथी आम , नीम सब
और नन्ही -सी दूब
एकदम नई उद्भावना ...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06-06-2015) को "विश्व पर्यावरण दिवस" (चर्चा अंक-1998) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
विश्व पर्यावरण दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी , कमला जी , अमित जी , कृष्णा जी एवं अनुपमा त्रिपाठी जी आपकी प्रोत्साहन भरी प्रतिक्रिया मेरे लेखन को नई ऊर्जा दे गई | आप सभी के प्रति हृदय से आभारी हूँ |
ReplyDeleteसादर
ज्योत्स्ना शर्मा
सही वर्णन
ReplyDeleteज्योति जी, गुणी बांस की तरह ही मन को लुभाने वाला है आपका यह नवगीत | बधाई आपको |
ReplyDeletehruday se aabhaar Onkar ji evam Shashi di ..sneh rakhiyegaa !!
ReplyDeletesaadar
jyotsna sharma
bahut sunder geet bahin ji badhai...
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका !
Deletebahut sunder navgeet!
ReplyDeleteझूम-झूम के तुझे खिलाए
पवन झकोरे खूब
संगी-साथी आम , नीम सब
और नन्ही -सी दूब....jyotsna ji ko pavan ke meethe jhakore si badhai ...
सही में...कितने सारे गुण समाए हैं इस में...बहुत मधुर गीत...हार्दिक बधाई...|
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