पथ के साथी

Sunday, March 8, 2015

बहने आईं भाई के घर !

 वीरबाला काम्बोज ,अनुपमा त्रिपाठी, डॉ जेन्नी शबनम, रामेश्वर काम्बोज
तरुणा काम्बोज,शान्तनु( हाइकु), वीरबाला काम्बोज ,अनुपमा त्रिपाठी, डॉ जेन्नी शबनम, रामेश्वर काम्बोज


एक मार्च, 2015

बहने आईं भाई के घर !

डॉ जेन्नी शबनम और अनुपमा त्रिपाठी घर पर आईं। 

डॉ जेन्नी शबनम का गद्य और पद्य पर असाधारण अधिकार है । अनुपमा त्रिपाठी काव्य और संगीत दोनों के प्रति समर्पित हैं।  अब स्थानान्तरण  होने के कारण विशाखापत्तनम्  जा रही हैं।

मुझे और वीरबाला काम्बोज को मायके में बहनों के आने की अनुभूति हुई ।

हमारी यही कामना है कि सब सुखी रहें , प्रसन्न रहें !!
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आज  इन दो बहनों की दो कविताएँ  भी

1-स्त्री की डायरी 

डॉ जेन्नी शबनम

स्त्री की डायरी 
उसका सच नहीं बाँचती   
स्त्री का सच 
उसके मन की डायरी में 
अलिखित छपा होता है 
बस वही पढ़ सकता जिसे वो चाहे 
भले दुनिया अपने-अपने मनमाफ़िक़ 
उसकी डायरी में 
हर्फ़ अंकित कर दे ! 
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2-अनमोल पल
 अनुपमा त्रिपाठी

अबके बसंत बरसा है फाग
पलाश के रंग में भीगी हूँ इस तरह
लगता है शब्दों के अंबार पर बैठी हूँ मैं
यहाँ सब कुछ मेरा है
रूप अरूप स्वरुप
सब कुछ
तुम्हारे शब्द भी मेरे हैं अब
तुम्हारे भाव भी मेरे हैं अब
मेरा अपना एकांत
और तुम से मिले मेरे अपने शब्द
किन्तु बोध मेरा अपना ही
और तुम से सजी
मेरी प्रिय आकृति
आकाश पर चलचित्र की भाँति
छाया सी उभरती
खिल जाता है मेरा एकांत

बरसाता है मुझ पर
मेरी ही पसंद के अनेक शब्द
पंखुड़ियों से
यूँ करता अठखेलियाँ
छुप छुप कर झाँकता है
कभी पहुँच जाता है मुझ तक
कभी फिर छुप जाता है
फिर कभी चुपके से आता है
कुछ सपनो के कुछ भावों के
कुछ पलाश के अनमोल पल दे जाता है।
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12 comments:

  1. वाक़ई यादगार दिन ! बहुत प्यारे फ़ोटो हैं भैया जी !

    दोनों कवितायें बहुत प्यारी, कोमल, दिल को छूने वाली !
    सभी सखियों को 'महिला दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  2. कभी कभी अविस्मरणीय पलों से सजता है जीवन !ऐसे ही यादगार पल थे |गिरती बारिश में जेन्नी जी के साथ कंबोज भैया के घर जाते हुए लगा जैसे सावन में दो बहने मायके जा रहीं हों |लगे भी क्यों न !!वहाँ पहुँचते ही इतना स्नेह ,आदर व प्रेम भैया के पूरे परिवार से मिला जिसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता |मन को सुकून भी बहुत मिला देख कर कि भैया जी ने कितने जतन से पूरे परिवार को एक सूत्र में बांध रखा है |भाभी का स्नेह ,तरुणा (बहू) की व्यवहारकुशलता ,बेटे का अनुशासन व पौत्र का अपने दादा से अटूट लगाव .....बहुत सुखद क्षण बिताए |सुखद वातावरण ....,सुंदर सुसज्जित घर , ....अनेक व्यंजन और गरम गरम फुल्के ....साहित्य चर्चा ...ढेर सारी किताबें ...भैया भाभी का ढेर सारा आशीर्वाद .....उत्फुल्ल मन ....अनमोल क्षण .............!!
    बहुत खुश हूँ ..आज के समय मे भी हमारी संस्कृति जीवित है .....

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  3. dono hi kavitayen man mein ghar kar gayin . jenni ji va anupama ji ko badhai.
    pushpa mehra.

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  4. सुन्दर पलों के बहुत सुन्दर चित्र ....इस मधुर आयोजन के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई !

    मेरी हार्दिक शुभ कामनाएँ ..ऐसे सुखद पल जीवन में बार-बार आएँ !!

    कड़वी सच्चाइयों से परे यूँ ही रची जाती रहें सुन्दर , सुखद कविताएँ !!

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  5. सुखद अनुभूति हई।
    भावभीनी रचनाएँ ।

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  6. ye anmol kshan jeene ke liye tatha khoobsurat rachnao ke liye bahut -bahut badhai ....prabhu kare ye sukhad anubhutiya jeevan mein aati rahen .

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  7. सुखद पलों के सुन्दर चित्र....बहुत प्यारी कविताएं...बधाई।

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  8. काम्बोज जी को अपने वृहद् परिवार और बहनों के साथ देखकर बहुत अच्छा लगा. मेरा आशीर्वाद -सुरेन्द्र वर्मा

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  9. यादगार पल और सुन्दर कावितायें !

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  10. सिंचित यादगार पल

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  11. ये अनमोल पल सुखद स्मृति की तरह है. कई वर्षों से भैया के घर जाने की योजना बनाती रही और हर बार किन्ही कारणों से न जा सकी. आज के दिन इतनी तेज़ बारिश थी कि लगा फिर से जाना टल जाएगा. लेकिन अनुपमा जी के सहयोग से मेरा वहाँ जाना मुमकिन हो सका. काम्बोज भाई, भाभी जी, पुत्र, पुत्रवधू और नन्हा हाइकु... सभी से मिलकर इतना अपनापन लगा जिसे शब्दों में अभिव्यक्त नहीं कर सकती बस महसूस कर सकती हूँ. इन यादगार क्षणों को सबसे पहले नन्हे हाइकु ने कैमरे में कैद किया; भले तस्वीर हिल गई, फिर बेटे ने फोटो लिया. बहु ने बहुत प्रसन्नता से चाय, नाश्ता और फिर भोजन का प्रबंध किया. भाभी जी ने खास करैले की सब्जी बनाई थी क्योंकि मुझे मधुमेह है. ढेरों किताब और भाभी जे से मिला तोहफा... सब कुछ अप्रतिम. काम्बोज भैया और भाभी जी से मिलना... खुद को धन्य मानती हूँ. स्नेह, अपनापन, और आशीष के साथ ही काम्बोज भाई का एक शिक्षक के रूप में दिशा निर्देश मिलता रहे, कामना रहेगी.

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  12. इन चित्रों और पलों ने तो मन मोह लिया...| अनुपमा जी और जेन्नी जी...आप दोनों कितनी सौभाग्यशाली हैं जो इतने यादगार पल बिताए आप दोनों ने अपने इस परिवार के साथ...|
    कविताएँ बहुत अच्छी लगी...| इसके लिए बधाई...और काम्बोज अंकल को आभार जो उन्होंने इन प्यारे से पलों को हमारे साथ सांझा किया...|

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