पथ के साथी

Wednesday, May 21, 2014

पाँच रंग

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
1
लेखनी उद्बोध लिखना और फिर शृंगार भी ,
भक्ति , ममता ,हास भी  हो दर्द का संसार भी ।
तुम उठो ,उठ कर चलो ,जब भी समय की माँग पर ;
दोस्ती की जीत लिखना, दुश्मनी की हार भी ।।
2
दोस्ती ,दिल को कुदरत का ईनाम है ,.
एक इनायत ,खुशी से भरा जाम है ।
हम इसे दुश्मनी में बदलने ना दें :
ज़िंदगी में बड़ा ये भी इक काम है ।।
3
जीर्ण चदरिया मन की मीठे बोलों से सिल जानी है ,
दृढ़ संकल्पों से विघ्नों की ,कठिन शिला हिल जानी है ।
मरकर भी सुधियों में रह मन ,ऐसा काम अमर कर जा ;
मिट्टी की काया है इक दिन, मिट्टी में मिल जानी है ।।
4
नेकी मन से ना बिसराना ,सबसे बड़ी इबादत है ,
दीन,दुखी पर दया दिखाना, सबसे बड़ी इबादत है ।
जन्म दिया है जिसने हमको ,धन-धान्य से बड़ा किया ;
उनकी खातिर जान लुटाना, सबसे बड़ी इबादत है ।।
5
काम,क्रोध जब हृदय बसे तो खुशियों का संसार गया ,
कुटिल द्वेष का सर्प विषैला जीते जी बस मार गया ।
जान लिया है लोभ ,मोह की वैतरणी है यह जीवन ;
दया ,धर्म का लिये सहारा ,जो डूबा वो पार गया ।।

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14 comments:

  1. बहुत प्रेरणादायक पंक्तियाँ...हार्दिक बधाई...|

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    1. हृदय से आभार प्रियंका जी !

      शुभ कामनाओं के साथ
      ज्योत्स्ना शर्मा

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  2. बहुत अच्छी कविता

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  3. ज्योत्स्ना जी , बहुत सुंदर शिक्षाप्रद पंक्तियाँ लिखी है आपको हार्दिक बधाई |

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  4. ज्योत्स्ना जी, बहुत अच्छी कविता; हार्दिक बधाई |

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  5. kaafi seekh milatti hai in panktiyon se agar koi gune to jeevan nayya paar ho jaye bahut-bahut badhai...

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  6. बहुत-बहुत-बहुत... ही सुन्दर, प्रेरणादायक कविताएँ ज्योत्स्ना जी ! जीवन का सार हैं !
    इतने ख़ूबसूरत सृजन के लिए आपको हार्दिक बधाई !

    ~सादर
    अनिता ललित

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  7. bahut prernadayak kavita hai. jyotsana ji apako badhai .
    pushpa mehra.

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  8. ज्ञानपूर्ण कविता ज्योत्स्ना जी.....बधाई !

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  9. बोधात्मक , शिक्षाप्रद कविताएँ
    बधाई

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  10. jyotsna ji.....prernadaiye v shikshaprad kavita likhi hai aapne ..aise gyan ki bahut zarooat hai hamare samaj mein.....badhai apko

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  11. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ
    जीर्ण चदरिया मन की मीठे बोलों से सिल जानी है ,
    दृढ़ संकल्पों से विघ्नों की ,कठिन शिला हिल जानी है ।
    मरकर भी सुधियों में रह मन ,ऐसा काम अमर कर जा ;
    मिट्टी की काया है इक दिन, मिट्टी में मिल जानी है ।।

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  12. आदरणीया कमला जी ,ज्योत्स्ना जी ,मंजु जी ,कृष्णा जी ,पुष्पा जी ,अनिता जी ,भावना जी ,सविता जी , शान्ति जी एवं आदरणीय सुभाष जी ....आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद मेरी भावाभिव्यक्ति को मिला मैं हृदय से आभारी हूँ |

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  13. ज्योत्स्ना जी, बहुत अच्छी कविता; हार्दिक बधाई |

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